आध्यात्मिक पर्यटन

Afeias
28 Mar 2024
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विश्व में भारत की सांस्कृतिक और अध्यात्मिक पहचान रही है। भारत कई धर्मों, भाषाओं और परंपराओं के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। यह विविधता ही उन नए पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करती है, जो नई संस्कृति को जानना और समझता चाहते हैं।

मंदिर और तीर्थ अध्यात्म और संस्कृति के केंद्र होने के अलावा एक सघन अर्थतंत्र का गढ़ बनकर समाज को समग्रता में लाभान्वित करते हैं। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के अनुसार पर्यटन क्षेत्र का योगदान दोगुना हो सकता है। वर्तमान में पर्यटन देश की GDP में 7% से अधिक योगदान दे रहा है। आध्यात्मिक पर्यटन देश की आर्थिक तेजी से आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

आध्यात्मिक पर्यटन का महत्व –

  • फल, फूल, प्रसाद, मूर्ति, चित्र, श्रृंगार, पोशाक, खिलौने, कंठी-माला, पूजा सामग्री इत्यादि ऐसी बहुत सी वस्तुएं न सिर्फ मंदिर और तीर्थ क्षेत्र में फुटकर व्यापारियों को जीविका प्रदान करती हैं, बल्कि घंटे, दीपक, मूर्ति आदि वस्तुएँ दूरदराज के उद्योगों को भी पोषित करती हैं।
  • मंदिर अर्थव्यवस्था के लाभार्थी अधिकतर निम्न या मध्य वर्ग हैं।
  • सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो इन व्यवसायों में लिप्त जातियाँ भी मुख्यतः वे हैं, जिनकी गणना अनुसूचित या पिछड़ी जातियों में होती है।
  • मंदिरों के दर्शन करने आए तीर्थयात्री रुकने, घूमने, खानपान और स्थानीय उत्पादों के क्रय से बहुत बड़े तंत्र को पोषित करते हैं।
  • तीर्थों के महत्व द्वारा उत्पन्न हुए बाजार ने प्राचीन भारत में तीर्थ क्षेत्रों को बड़े व्यापारिक और उत्पाद क्षेत्र में विकसित किया था। कई बड़े-छोटे शहरों और कस्बों की अर्थव्यवस्था तो पूरी तरह मंदिरों में आने वाले दर्शनार्थियों पर ही निर्भर करती है।
  • यदि पर्यटन क्षेत्र में निहित संभावनाओं का भरपूर दोहन किया जाए, तो ये बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
  • पर्यटन बड़े पैमाने पर आय मुहैया कराने के साथ ही ग्रामीण समुदायों को उद्यमिता के अवसर भी देता है।
  • ये होटल और ट्रैवल एजेंसियों में प्रत्यक्ष रोजगार देने के अलावा परिवहन, रिटेल, फूड और बेवरेज और हस्तकला में नौकरियाँ पैदा करने में योगदान करता है।
  • कम लोकप्रिय क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करके इन इलाकों में पूंजी का प्रवाह बढ़ाने के साथ-साथ नौकरियों के मौके पैदा किए जा सकते हैं। इससे ग्रामीण समुदायों और युवाओं के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।
  • देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से ढांचागत सुविधाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और लोगों को जीवन स्तर बेहतर बनने में मदद मिलती है।

भारत की परंपरा में अतिथित को भगवान की तरह देखा जाता है। यहाँ पर्यटकों को मित्रतापूर्ण वातावरण मिलता है, जो उनकी यात्रा को यादगार बनाता है। परंतु पर्यटन के क्षेत्र में काफी चुनौतियाँ हैं, जिनके लिए सुझाव निम्नलिखित है –

  • भारत में सतत पर्यटन के तौर-तरीकों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।
  • भारत को एयरपोर्ट, सड़कों और सार्वजनिक परिवहन सहित ढांचागत सुविधाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत है। इससे पर्यटकों के लिए देश के अंदर यात्रा करना आसान होगा।
  • भारत को सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आश्वस्त करना होगा कि भारत यात्रा के लिए सुरक्षित है।
  • पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और मानव पूंजी में सतत निवेश की जरूरत है।
  • स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों को ‘पर्यटन क्लस्टर‘ बनाने पर फोकस करना होगा। पर्यटन क्लस्टर ऐसा हो, जो यात्री को दूसरे पर्यटन स्थल की यात्रा करने के लिए प्रेरित करें।
  • ग्रामीण कनेक्टिविटी और देश के दूर-दराज के इलाकों में परिवहन सुविधाओं को और बेहतर बनाने की जरूरत है।

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