2024 के चुनावों में मतदाताओं की संख्या में गिरावट
To Download Click Here.
- 2024 के चुनाव में लगभग एक तिहाई निर्वाचन क्षेत्रों में, 2019 के चुनाव की तुलना में मतदाताओं की कुल संख्या में कमी आई है।
- सामान्यतः भारत में दो चुनाव चक्रों के बीच मतदाताओं की संख्या बढती ही है। हालांकि तुलना के लिए ज्यादा सार्थक और सहज उपाय, चुनावों में मतदान करने वालों की कुल संख्या में बदलाव को माना जाता है।
- इसमे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि 115 निर्वाचन क्षेत्रों में 2019 की तुलना में कुल मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह अजीब है। 2014 की तुलना मे 2019 के मात्र 19 निर्वाचन क्षेत्रों में यह गिरावट देखी गई थी। अधिकांश गिरावट केरल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में है।
कारण क्या हो सकते हैं –
- मतदाताओं के प्रतिशत में बदलाव मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करता है –
- नए पात्र मतदाताओं की संख्या
- बाहर जाने वाले मतदाताओं की संख्या
- मतदान के लिए पहुंवने वाले मतदाताओं का प्रतिशत। पात्र मतदाताओं की संख्या में कोई अस्पष्ट गिरावट नहीं आई है। आर्थिक या अन्य आपदाओं के कारण इन 115 निर्वाचन क्षेत्रों से लोगों के पलायन में अचानक वृद्धि भी नहीं हुई है। एकमात्र तार्किक व्याख्या यह है कि 2019 की तुलना में मतदान में अत्यधिक गिरावट आई है।
प्रश्न यह है कि मतदान में यह कभी स्वैच्छिक थी या निहित रूप से मजबूर थी? यदि स्वैच्छिक है, तो कौन सी जनसांख्यिकी व्याख्या इस अचानक गिरावट को उचित ठहरा सकती है? इस पर चुनाव आयोग से कुछ स्पष्टीकरण की उम्मीद की जा सकती है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित प्रवीण चक्रवर्ती के लेख पर आधारित। 23 मई, 2024
Related Articles
×