हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक नया समीकरण
Date:29-05-18 To Download Click Here.
चीन के साथ संबंधों में अस्थिरता और अमेरिकी नीतियों के असंतुलन के चलते अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया का चतुर्भुज सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता। इसके लिए भारत को फ्रांस और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक नया समीकरण बनाना होगा। हाल ही में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने फ्रांस-भारत-आस्ट्रेलिया की एक नई धुरी बनाने की बात कही है, जो भारतीय – प्रशांत महासागर में नई रणनीतियां तय करेगी।
- फ्रांस का फैलाव केवल हिंद महासागर तक ही नहीं है। प्रशांत महासागर में भी फ्रांस का कुछ क्षेत्र है। दोनों ही महासागरों में इसकी नौ-सैनिक भूमिका है। फ्रांस के समुद्री आर्थिक क्षेत्र का लगभग 85 % हिस्सा इन दोनों महासागरों में है। इनसे उसके 8000 सैनिक और 1.6 करोड़ नागरिक संबद्ध हैं।
- चीन अपने पांव हिंद महासागर से लेकर दक्षिण प्रशांत महासागर तक फैलाता जा रहा है। अपनी बेल्ट रोड योजना के बहाने से वह अपने नौ-सैनिक और सैन्य अड्डे बढ़ाता चला जाएगा। इसके कारण कई देशों में अनेक आशंकाएं उत्पन्न हो रही हैं। फ्रांस, भारत और आस्ट्रेलिया के लिए भी यहाँ अपने हितों की रक्षा करना आवश्यक हो जाता है।
- भारत, और आस्ट्रेलिया एक ही सत्ता के उपनिवेश रहे हैं। इनके मूल्य आपस में मिलते-जुलते हैं। ये अपने राष्ट्र की संप्रभुता का मुल्य समझते हैं, और इसमें हस्तक्षेप करने वाले किसी भी तत्व को बर्दाश्त नहीं कर सकते। इनके सुरक्षा हित, सैन्य-क्षमताएं एवं समुद्री भूगोल आपस में मिलते-जुलते हैं।
- एक तरफ भारत, जापान और आस्ट्रेलिया का त्रिभुज बना हुआ है, तो दूसरी ओर भारत-जापान-अमेरिका का। इसी प्रकार से आस्ट्रेलिया का जापान और अमेरिका के साथ त्रिपक्षीय समझौता है। फ्रांस को यह समझ में आ रहा है कि इन त्रिभुजों में भारत और आस्ट्रेलिया केंद्रीय भूमिका में हैं। पिछले एक दशक में इनके द्विपक्षीय संबंधों में भी बहुत मजबूती आई है। अपने क्षेत्र यूरोपियन यूनियन में फ्रांस की भूमिका को उदार प्रजातंत्र के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण माना जाता है। उसमें एक रणनीतिक शक्ति बनने एवं नेतृत्व करने की भी क्षमता है। अतः भारत और आस्ट्रेलिया के साथ उसकी तिकड़ी एक सफलतम प्रयास होगा।
- इन तीनों ही देशों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ये हिंद महासागर में पर्यावरणीय विक्षोम, गैरकानूनी तरीके से मछली पकड़ने एवं अन्य समुद्री अपराधों के संबंध में डाटा साझा कर सकते हैं। ये तीनों ही देश आपस में समुद्री-परिवहन पर भी सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को देखते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति ने आस्ट्रेलिया में कहा भी था कि ऐसे समानता के त्रिभुज बनाना या साझेदारी करना, हर किसी के हित में है। उनका मंतव्य चीन को नकारना नहीं था, बल्कि वे ऐसा कहकर उसे अंतरराष्ट्रीय नियमों और परस्पर आदरभाव रखने की सलाह दे रहे थे। जाहिर है कि हिंद-प्रशांत महासागर के अन्य देशों में बढ़ने वाली सहमति और साझेदारी से इस क्षेत्र की शांति को कायम रखा जा सकेगा।
‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ में प्रकाशित सी. राजामोहन, रॉरी मेडकॉफ एवं ब्रूनो टरद्रे के लेख पर आधारित। 8 मई, 2018