स्वच्छ भारत मिशन: एक नजर

Afeias
06 Oct 2017
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Date:06-10-17

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  • प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री का यह अभियान ऐसे समय में शुरू किया गया है, जब पूरे विश्व में खुले में शौच करने वालों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है।
  • इससे पूर्व 1980 से अनेक सरकारों ने राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान की शुरूआत की थी, परंतु 2014 तक मात्र 39% भारतीय ही स्वच्छ वातावरण में जीवन-यापन कर रहे थे।
  • इसका सीधा सा कारण यह है कि स्वच्छता की समस्या केवल बुनियादी ढांचे से ही नहीं जुड़ी हुई है, बल्कि कहीं गहराई में यह लोगों के व्यवहार एवं सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से भी जुड़ी हुई है। 60 करोड़ लोगों में इस प्रकार की जागृति लाने का बीड़ा उठाने का काम शायद ही किसी और ने किया हो।
  • स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत “स्वच्छाग्रह” की सोच लोगों को महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह की याद दिलाती है।
  • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के लगभग 40% बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक रूप से अविकसित रहने का कारण सीधे-सीधे स्वच्छता से संबंधित है। खुले में शौच के कारण ही बच्चों में डायरिया जैसी अन्य बिमारियां फैलती हैं, जो उनके विकास में बाधा बनती है। प्रजातांत्रिक लाभांश के इतने बड़े भाग की उत्पादकता के यूं नष्ट हो जाने से भारत को बहुत हानि उठानी पड़ रही है।
  • विश्व बैंक के अनुसार स्वच्छता की कमी के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 6% व्यर्थ चला जाता है।
  • यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार किसी ग्राम के खुले में शौच मुक्त होने से प्रति परिवार 50,000 रुपए की धनराशि बचाई जा सकती है। अन्यथा यह धन उनकी बिमारियों में खर्च हो जाता है।

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत केन्द्र एवं राज्य सरकारों को पांच वर्ष के लिए 2 अरब डॉलर का बजट दिया गया है। इसके अलावा निजी क्षेत्रों, विकासशील संस्थाओं एवं नागरिकों द्वारा दिया गया दान भी स्वच्छ भारत कोष में जमा किया जा रहा है। स्वच्छ भारत कोष से 660 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं, जो विभिन्न परियोजनाओं  में लगाए जा रहे हैं।सभी मंत्रालय एवं सरकारी विभाग अपने-अपने क्षेत्र में स्वच्छता मिशन चला रहे हैं। इसके लिए उन्हें वित वर्ष 2017-18 में 1200 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

स्वच्छ भारत मिशन ने बहुत जल्दी ही जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। इसके प्रसार के साथ ही खुले में शौच करने वालों की संख्या घटकर 30 करोड़ तक आ गई है। 68% भारतीय अब स्वच्छ वातावरण में सांस ले रहे हैं। लक्ष्य प्राप्ति में अभी समय है। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए हर भारतीय को आगे आने की जरूरत है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित अरूण जेटली के लेख पर आधारित। लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं।