स्वच्छ भारत अभियान से पूर्व ‘गंदगी न फैलाने’ का अभियान जरूरी है।
Date:11-10-17
To Download Click Here.
स्वच्छता के लिए कई महीनों से चलाए जा रहे अभियान के बावजूद हमारा देश अन्य देशों की तुलना में बहुत गंदा है। विश्व के अन्य देशों में स्वच्छता की ऐसी कोई मुहिम नहीं चलाई गई है। इसके बावजूद वे भारतीय गांवों और नगरों से अधिक स्वच्छ हैं। विदेशों में न तो कभी भारतीय सड़कों की तरह कोई झाडू लगाता दिखाई देता है, और न ही वहाँ की महत्वपूर्ण हस्तियां हाथ में झाडू लिए स्वच्छता अभियान का प्रसार करती दिखती हैं। फिर भी उनके साफ रहने के पीछे छिपा रहस्य क्या है?
इसका उत्तर उन देशों के नागरिकों के चरित्र में बहुत कम उम्र से जमी हुई स्वच्छता बनाए रखने की भावना है। हमारे बहुत से सार्वजनिक स्थानों पर ‘गंदगी न फैलाएं’ का बोर्ड लिखा देखा जा सकता है। इसके बाद भी वह स्थान गंदगी से भरा होता है। इसका कारण यही है कि आज तक हमारे नेताओं ने ‘गंदगी न फैलाने’ का आह्वान कभी नहीं किया। लोग तो सार्वजनिक स्थानों को गंदा करना अपना अधिकार समझते हैं और इसे साफ करना सफाई कर्मचारियों का काम समझा जाता है।
सड़क के किनारे बनी नालियों में अपने घर और दुकान का निकाला कचरा फेंकने से पहले कोई नहीं सोचता कि कल को यही कचरा उस नाली को यदि जाम कर दे, तो बरसात में ज्यादा भर जाने के कारण गंदा पानी उनके घर के बाहर बहता दिखाई देगा। हमें तो बस अपनी जगह साफ करने से मतलब है, जहाँ हमें पूजा करनी है। ‘कूड़े का ढेर न लगाएं’ या ‘कचरा इधर-ऊधर न डालें’ जैसे नारे जगह-जगह लिखे जाने चाहिए। यही विदेशों में रहने वाली सफाई का राज है। स्वच्छता अभियान से पहले ‘गंदगी न करने, का अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।
विदेशों में ‘गंदगी फैलाना’ अपराध की श्रेणी में आता है। इस पर दंड भी दिया जाता है। अपने घर के आसपास कुछ निश्चित सीमा तक सफाई रखने का काम नागरिकों के जिम्मे है। एक समय चीन में जगह-जगह थूकने की प्रवृत्ति बहुत ज्यादा थी। लेकिन आज इसको समाप्त कर दिया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान का पूरा ध्यान फिलहाल ‘गंदगी न फैलाने’ पर होना चाहिए। कूड़े के डिब्बों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और इन्हें नियम से नगर निगम कर्मचारियों द्वारा साफ किया जाना चाहिए। अगर हम विदेशों की तर्ज पर स्वच्छता रखने और गंदगी न फैलाने संबंधी कुछ कठोर नियम बना सकें, तो स्वच्छ भारत अभियान को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित नीलिमा सिन्हा के लेख पर आधारित।