सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग तथा डिजटलीकरण
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भारत के सूक्ष्म लघु और मझोले उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में 37% की भागीदारी रखते हैं। साथ ही ये रोजगार का सबसे बड़ा साधन हैं। इस क्षेत्र में और अधिक प्रगति के लिए सरकार ने हाल ही में इससे जुड़े ऑनलाइन पोर्टल और मोबाईल एप्लिकेशन की शुरूआत की है। इसकी सहायता से अब इस उद्यम से जुडे़ लोगों को व्यवसाय-आधारित डाटा प्राप्त करने की सुविधा मिलेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छोटे उद्यमों को भुगतान में देरी होने पर जांच की जा सकेगी।सरकार भी मानती है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये उद्योग लगभग 7,000 उत्पाद बनाते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न रोज़गार की संख्या 11 करोड़ से भी अधिक है। सार्वभौमिक रूप से ये उद्योग ही अधिकतम रोज़गार, अधिकतम उद्यमी और अधिकतम उत्पाद दे सकते हैं।फिलहाल भारत में ऐसे उद्योगों की संख्या 5 करोड़ से ज़्यादा है। लेकिन इनमें से एक लाख से भी कम पंजीकृत हैं।सूक्ष्म लघु और मझोले उद्योगों को ऑनलाइन करके सरकार ने एक सकारात्मक पहल की है।
- इन उद्योगों को ऑनलाइन पोर्टल से जोड़कर इनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सकेगी।
- पहले लोगों को अपना उद्यम पंजीकृत करवाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। अतः सरकार ने 2015 में उद्योग आधार मेमोरेन्डम (UAM) की शुरूआत की। अब कोई भी उद्यमी अपनी समस्त सूचनाएं ऑनलाइन दर्ज कर सकता है। बिना दस्तावेजों के पांच मिनट के में अब पंजीकरण करना संभव हो सका है। 2015 से लेकर अब तक 30 लाख नए पंजीकरण किए गए हैं। यह अपने आप में एक बड़ी संख्या है।
- इस क्षेत्र को करदाता कंपनियों की सेवा दी जाती है। परंतु उन्हें महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ नहीं पहुँचाया जा पाता है। आॅनलाइन करने से अधिक-से-अधिक लोग इसका लाभ ले सकेंगे।
- सूक्ष्म लघु एवं मझोले उद्योगों को ऋण लेने में सबसे अधिक कठिनाई होती है। पहले एक उद्योग को एक करोड़ तक का ऋण दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 2 करोड़ कर दिया गया है। ऑनलाइन होने से आई पारदर्शिता के कारण इन उद्योगों को ऋण का लाभ आसानी से मिल सकेगा।
सन् 2012 में एक कानून बनाया गया था, जिसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्य सरकारों को सार्वजनिक क्षेत्र से की जाने वाली खरीदारी का 20% इन छोटे उद्योगों से करना अनिवार्य बना दिया गया था। अप्रैल 2015 से इस पर कड़ाई से अमल किया जा रहा है। रक्षा क्षेत्र की खरीदारी को भी इन छोटे उद्योगों से करने की कोशिश की जा रही है। सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि 20% खरीदारी में से 4% अनिवार्य रूप से अनुसूचित जाति-जनजाति के उद्योगों से की जाए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया‘ में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग के केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र की नलिन मेहता से बातचीत पर आधरित।