सीडीएस की भूमिका एवं शक्तियां

Afeias
15 Jan 2020
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Date:15-01-20

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हाल ही में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर जनरल विपिन रावत की नियुक्ति की गई है। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के बाद भारत में इस पद के सृजन की जोरदार मांग की गई थी, लेकिन राजनीतिक असहमति और आशंकाओं के कारण यह आगे नहीं बढ़ सकी थी। नरेश चन्द्र समिति ने 2012 में चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के एक स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति की सिफारिश की थी, और वर्तमान में इसी का अनुपालन किया गया है।

इस पद का मतलब होगा कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के लिए महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर सरकार के सलाहकार के रूप में केवल एक व्यक्ति कार्य करेगा। सी डी एस, परमाणु मुद्दों पर प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार के रूप में भी काम करेगा। ज्ञातव्य हो कि परमाणु हथियार सम्पन्न देशों में ऐसा एक पद जरूर है।

सी डी एस की दोहरी भूमिका

(1) चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष की भूमिका।

(2) रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग-प्रमुख की भूमिका

सी डी एस के प्रमुख कार्य

(1) तीनों सेनाओं के मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार का कार्य।

(2) परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार का कार्य।

(3) रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद् के सदस्य होंगे।

(4) सेना के तीनों अंगों के बीच दीर्घकालिक नियोजन, प्रशिक्षण, खरीद और परिवहन के कार्यों के लिए समन्वयक का कार्य।

(5) रक्षा क्षेत्र के बढ़ते बजट के कारण संसाधनों पर तनाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है। अब सीमित संसाधनों के उपयोग को सुनिश्चित करके तीनों सेना के अंगों के बीच समन्वय को बढ़ाना समय की आवश्यकता है। यह काम सी डी एस को करना होगा।

क्या नहीं कर सकते?

          * सी डी एस किसी भी प्रकार के सैन्य कमांड देने के अधिकारी नहीं होंगे। तीनों सेना प्रमुखों को भी वे कोई सैन्य कमांड नहीं दे सकेंगे।

अन्य दायित्व

सी डी एस को केबिनेट सचिव का दर्जा दिया जा रहा है। अपनी कार्यप्रणाली में वे किसी विभाग के सचिव की तरह काम करेंगे। साथ ही वे रक्षा मंत्रालय में रक्षा मंत्री के प्रति जवाबदेह होंगे। उनकी दोहरी भूमिका में उन्हें भिन्न प्रकार की शक्ति, पहुँच और सरकार के साथ संबंध स्थापित करने का अवसर मिलेगा।

सी डी एस को देश की रक्षा के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया गया है। 30 दिसम्बर, 2019 के गैजेट के अनुसार रक्षा सचिव की अध्यक्षता में काम करने वाला रक्षा विभाग ही अंततः देश की रक्षा का कार्यभार संभालेगा।

सामान्य सरकारी कामकाज और राजनीतिक मार्गदर्शन के मानदंड व हाई-कोडेड नौकरशाही नियमों से अधिक; किसी सीडीएस की कार्यात्मक दक्षता और प्रभावशीलता पर ही यह निर्भर करता है कि वह अपने प्रभार को किस प्रकार निभा पाते हैं।

समाचार पत्र एवं अन्य स्रोतों पर आधारित।

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