सरकारी प्रयास और महिलाओं के बढ़ते काम

Afeias
04 Oct 2018
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Date:04-10-18

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देश की वर्तमान सरकार, हाशिए पर रह रहे लोगों की जिन्दगी को सुधारने के लिए कृतसंकल्प है। इनमें से अधिकांश जनता गरीबी रेखा से नीचे जी रही है। खेती से जुड़े लोग भी इसमें शामिल हैं। महिलाओं की एक बड़ी संख्या है, जो इस वर्ग-समूह में आती है। हाल की परिस्थितियों में खेती लाभ का व्यवसाय नहीं रही है। बहुत से कृषक ऋण के बोझ से लदे हुए हैं। देश के कार्यबल में महिलाओं का 27 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पादन में उनका योगदान 17 प्रतिशत है।

खेती के व्यवसाय में लिप्त महिला श्रमिक बेरोजगारी की स्थिति में आ रही हैं। गाँव में काम के अन्य साधन न जुटा पाने के कारण उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ऐसा अनुमान है कि अगर कार्यक्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाए, तो भारतीय अर्थव्यवस्था में 0.65 खरब डॉलर की बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। इस दिशा में प्रयास करने के लिए सरकार तत्पर है।

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 1 खरब रुपए के निवेश का अनुमान है। इस वर्ष ही 25 बड़े फूड पार्क तैयार हो जाएंगे। मंत्रालय ने कोल्ड चेन ग्रिड भी तैयार करने की योजना बना ली है। इस क्षेत्र में सात सौ योजनाएं आ रही हैं। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का लक्ष्य एग्रो-प्रोसेसिंग समूहों का निर्माण करना है। इन योजनाओं का सीधा लाभ ग्रामीण और शहरी महिलाओं को मिलता है। बड़े फूड पार्क की योजना में 14 महिला उद्यमियों ने भाग लिया है।
  • विलेज एडॉप्शन और ट्रेनिंग प्रोग्राम के द्वारा भी महिलाओं को लाभ पहुँचाया जा रहा है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में महिलाओं की अहम् भूमिका है। इन उद्योगों में उन्हें कई प्रकार के कामों में लगाया जा सकता है। इस माध्यम से अशिक्षित महिलाएं भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन रही हैं। इसके अलावा तीन अन्य माध्यमों से सरकार महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास कर रही है।
  • “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं” के माध्यम से सरकार महिलाओं को उत्पादक कार्यों में लगाना चाहती है।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से उनको आर्थिक सहायता देकर स्वउद्यमी बनने के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • अवयस्क लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने पर फांसी की सजा और तीन तलाक पर बने कानूनों के माध्यम से सरकार उन्हें सामाजिक सुरक्षा मुहैया करा रही है।
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 18 करोड़ महिलाओं के खाते खुले हैं। मुद्रा योजना के अंतर्गत दी गई 76 प्रतिशत राशि से छः करोड़ महिलाओं को लाभ पहुँचा है।
  • सात करोड़ शौचालयों एवं एक करोड़ आवासों के निर्माण के द्वारा सरकार ने महिलाओं को एक सम्मानजनक जीवन प्रदान किया है।
  • उज्जवला योजना के द्वारा 5.5 करोड़ महिलाएं धुएं के दुष्प्रभावों से बच सकी हैं।

सरकार के इन प्रयासों से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। वे सशक्त होकर अपने प्रति अपने परिवार और समाज का नजरिया बदलने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित हरसिमरत कौर बादल के लेख पर आधारित।