सट्टेबाजी पर विधि आयोग की सिफारिशें

Afeias
16 Aug 2018
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Date:16-08-18

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विधि आयोग ने सिफारिश की है कि कानून बनाकर खेलों एवं जुए को वैध कर देना चाहिए। बुद्धिजीवियों ने विधि आयोग की इस सिफारिश का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यदि सरकार इन सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है, तो इससे आपराधिक गतिविधियाँ कम होंगी। मनी लांड्रिंग के मामलों में कमी आएगी तथा करों की चोरी भी रुकेगी। इससे सरकार का कर संग्रह भी बढ़ेगा। ज्ञातव्य है कि इससे पहले न्यायमूर्ति लोढा समिति ने क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध किये जाने की वकालत की थी। साथ ही यह भी कहा था  कि मैच फिक्सिंग को गंभीर अपराध माना जाए। यहाँ तक कि 1996 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए हार्स रेसिंग की सट्टेबाजी को न्यायसंगत ठहराया था कि इसके लिए संयोग से अधिक कौशल की आवश्यकता होती है।

उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने कौशल से जुड़े सभी खेलों में सट्टेबाजी को वैध ठहराने की सिफारिश करके खेलों के प्रति भेदभाव की नीति को समाप्त कर दिया है। उसका मानना है कि ऐसा करने से सट्टेबाजी के आपराधिक मामलों में कमी आएगी, उसमें पारदर्शित बढ़ेगी और साथ ही कानून को लागू करने वाली एजेंसियों को भी छिपे हुए अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। ध्यान देने की बात है कि यह विषय राज्य सूची का है।  गोवा और सिक्किम ने पहले से ही अपने यहाँ सट्टेबाजी और जुए को वैध ठहरा रखा है। ऐसी स्थिति में दूसरे राज्य भी इसका अनुकरण करते हुए ऐसे कानून बना सकते हैं। संसद इनके लिए एक आदर्श कानून बनाकर उनके सामने एक मॉडल प्रस्तुत कर सकती है।

यह बात गौर करने की है कि अवैध रूप से सट्टेबाजी का बाजार लगभग 3 लाख करोड रुपये का है। यदि इसमें 30 प्रतिशत टैक्स की गणना की जाए, तो यह लगभग 1 लाख करोड़ रुपये होगा। साथ ही इसके कमीशन वितरकों पर जीएसटी लगेगा जाएगा। फलतः केन्द्र और राज्य दोनों के राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी। यह भी माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में विदेशी निवेशकों को आमंत्रित करने से पर्यटन स्थलों पर केसिनो (इलेक्ट्रानिक जुआ घर) खुल जाएंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन विधि आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि इसके लिए अत्यन्त सक्षम और कठोर कानून बनाये जाने चाहिए। भारत इस बारे में इंग्लैण्ड के कानूनों का अनुकरण कर सकता है, जहाँ यह व्यवस्था वैध तरीके से काम कर रही है।

‘इकॉनामिक्स टाइम्स’ के सम्पादकीय पर आधारित।

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