मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा बनते रोबोट
Date:21-08-17
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एक समय था, जब वास्तविकता से जुड़ी फिल्मों को अच्छा समझा जाता था, जबकि काल्पनिक फिल्मों को ‘पलायनवादी’ या ‘अव्यावहारिक’ बताकर उनकी आलोचना की जाती थी। 21वीं शताब्दी के तकनीकी युग में दोनों में भेद करना मुश्किल हो गया है। तकनीकी जगत के व्यवसायी एलोन मस्क ने इस बात की चेतावनी दी है कि सरकारों को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में अपवादस्वरूप पहले ही नियम/कानून बना लेने होंगे। अन्यथा वह दिन दूर नहीं, जब सड़कों पर रोबोट लोगों को मारते घूम रहे होंगे।
रोबोट को हमारे दैनिक जीवन से जोड़ने में अलग-अलग देशों की अलग-अलग धारणाएं हैं। जहाँ अमेरिका में इसके उपयोग पर नैतिक पाबंदियां हैं, वहीं चीन जैसे देश खुल्लम-खुल्ला इसे प्रयोग में ला रहे हैं। चीन में इसके व्यापक उपयोग के दो कारण हैं –
- वहाँ सस्ते श्रम की उपलब्धता समाप्त हो रही है। रोबोट को काम पर लगाना आसान है। उसे वेतन नहीं देना पड़ता।
- जब करोड़ों लोग सोशल मीडिया का उपयोग करने में लगे हों, तब चीन जैसे तानाशाह देश में उन पर एक साथ नजर रखने का काम रोबोट जैसी ताकत ही कर सकती है।
इन स्थितियों में मानवता के अस्तित्व को बचाए रखने पर विचार करने की आवश्यकता है।
समाचार पत्र में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।