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भारत-नेपाल संबंधों में आया बदलाव
Date:08-06-20 To Download Click Here.
भारत और नेपाल के संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। न केवल राजनीतिक स्तर पर , बल्कि सांस्कृतिक स्तर पर भी हमारे संबंधों की पुरानी परंपरा रही है। जब नेपाल में राजतंत्र था, तब भी उसके भारत से निकट के संबंध थे, और उसके बाद भी रहे हैं।
कई मायनों में भारत नेपाल के लिए जीवनरेखा के समान है। नेपाल को जाने वाले पेट्रोलियम उत्पाद, मोटर वाहन और स्पेयर पाटर्स , मशीनरी और कलपुर्जे, कोयला, सीमेंट आदि 80 फीसदी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भारतीय मार्ग से की जाती है। इसके बावजूद हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने एक ऐसे विवादास्पद नक्शे को मंजूरी दी है, जिसमें तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। भारत के लिए यह एक चौंकाने वाला कदम है।
क्या कारण हो सकते हैं ?
ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाने का काम नेपाल ने चीन के इशारे पर किया है। अगर ऐसा है, तो चीन आखिर ऐसा क्यों कर सकता है ?
- जिस क्षेत्र पर नेपाल ने दावा किया है, वह चीन की सीमा से भी लगता है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- भारत और नेपाल के संबंधों की निकटता को देखते हुए शायद चीन, नेपाल में प्रवेश कर भारत के साथ उसके स्वाभाविक संबंधों में सेंध लगाने का प्रयत्न कर रहा हो। उसके अपने निहितार्थ हैं।
- कोविड-19 के मामले में विश्व में अलग-थलग पड़ने और भारत द्वारा कोरोना वायरस को लेकर जांच किए जाने की बात उठाने के बाद चीन बौखलाया हुआ है। चीन उन तमाम देशों पर अलग-अलग तरह से दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है, जो जांच की मांग कर रहे हैं। हो सकता है, यह उसकी इसी रणनीति का हिस्सा हो।
- वैश्विक स्तर पर भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व करने की स्थिति में आ गया है। यह भी चीन के डर का कारण हो सकता है। संभव है, इसलिए वह नेपाल सरकार को उकसाकर वैश्विक समुदाय को भटकाना चाह रहा हो।
भारत के लिए यह मामला इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि इस विषय को नेपाल ने भारत के समक्ष रखने की बजाय अपनी कैबिनेट में रखा। इससे ऐसा लगता है कि नेपाल सरकार इस मामले को विश्व-स्तर पर ले जाना चाह रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम मित्र बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं। इस समय यदि नेपाल वैश्विक सियासी परिस्थितियों के कारण ऐसा कर रहा है, तो उसे दुश्मन नहीं माना जा सकता। बातचीत ही इस समस्या का हल है। इस समय ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए , जिससे दोनों देशों की जनता के मैत्री संबंधों में कटुता आए। भारत ने जिस प्रकार से नेपाल में शांति और लोकतंत्र स्थापित करने में सहयोग दिया है, उसी सद्भाव की राह पर चलते हुए समस्या का हल ढूंढने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।