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भारतीय बौद्धिक संपत्ति (Intellectual Property)
Date: 10-05-16
- WTO के पेटेंट कानून की धारा 3(डी) का संपूर्ण विश्व अनुसरण कर रहा है। परंतु इसमें सुधार की जरूरत है, चाहे वह फार्मा कंपनियों को नापसंद ही क्यों न हो।
- फिलहाल फार्मा कंपनियां इस बात से खुश हैं कि उनकी पेटेंट दवाइयों पर किसी सरकार की थोक मांग पर भी वे छूट देने के लिए बाध्य नहीं हैं।
- यह समस्या अब टेलीकॉम जैसे इलैक्ट्रानिक क्षेत्र में आने लगी है। भारतीय कंपनियां किसी भी ऐसी तकनीक का लाइसेंस नहीं लेना चाहतीं, जिसमें पेटेंटधारक के साथ कोई वैधानिक विवाद हो।
- इससे भी बड़ी समस्या यह है कि भारतीय फर्म बौद्धिक संपत्ति बढ़ाने वाले किसी अनुसंधान या विकास में लगातार असफल रही हैं। भारतीय व्यापार, कस्टम ड्यूटी और टैक्स नियम भी घरेलू अनुसंधान को बढ़ावा नहीं देते।
- बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देने के लिए विश्विद्यालयों को अनुसंधान के लिए धन देना, कानूनी पारदर्शिता, कानूनी सुरक्षा तथा व्यापार-वाणिज्य नीतियों का तार्किक होना बहुत जरूरी है।
‘इकॉनामिक टाइम्स’ के
सम्पादकीय पर आधारित
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