और भी हैं राहें

Afeias
23 May 2019
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Date:23-05-19

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पिछले कुछ वर्षों से भारत में रोजगार के अवसर कम होने को लेकर अनेक चर्चाएं की जा रही हैं। कुछ वर्षों में लगभग 50 लाख रोजगार कम हुए हैं। इन सबको ढंकने को लेकर सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं। वस्तु एवं सेवा कर के अस्त-व्यस्त क्रियान्वयन और विमुद्रीकरण को रोजगार कम होने का एक कारण माना जा रहा है।

सरकार भी ‘मेक इन इंडिया’ की उपलब्धियों, सकल घरेलू उत्पाद की ऊँची दर तथा वित्तीय व्यवस्था में पुर्नोत्थान का हवाला देकर बचने का प्रयत्न कर रही है। ऑटोमेशन के दौर में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम विफल हो चुका है। वस्तु एवं सेवा कर और विमुद्रीकरण को लागू करने के तरीके और क्रियान्वयन की विसंगतियों ने अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव ही डाला है। कुल-मिलाकर विश्व में बढ़ते संरक्षणवादी रवैये ने भारत में रोजगार के अवसर बढ़ाने के कम ही विकल्प छोड़े हैं।

सेवाओं के क्षेत्र में रोजगार की कुछ उम्मीद की जा सकती है। हाल ही में टैक्सी ड्राइवरों की मांग बढ़ी है। विनिर्माण और सूक्ष्म व लघु उद्यम क्षेत्र में भी रोजगार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके साथ पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

  • थाईलैण्ड का आकार भारत के कुल दो राज्यों के बराबर है। यहाँ कुछ मंदिरों और एक-दो महत्वपूर्ण नगरों के अलावा अधिक कुछ नहीं है। थाईलैण्ड की तुलना में भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या एक चैथाई है।
  • अगर 50 लाख लोग विदेश यात्रा करते हैं, तो उसमें से केवल पचास हजार ही भारत आते हैं। मिलान में मात्र एक कैथेड्रल और लियोनार्डो द विंसी का ‘द लास्ट सपर’ म्यूरल देखने योग्य है जहाँ प्रतिवर्ष भारत जितने ही पर्यटक पहुँच जाते हैं।
  • अगर भारत में 10 लाख पर्यटक आते हैं, तो यहाँ से 2.5 करोड़ पर्यटक विदेश भ्रमण पर जाते हैं।
  • भारत में मंदिरों और पर्यटक स्थलों की कमी नहीं है। तंजौर और मदुरई के मंदिर विश्व धरोहर हैं। इसके अलावा दिल्ली और दिलवाड़ा में भी दर्शनीय मंदिर हैं। ओरछा में राजा राम का इकलौता मंदिर है। लेकिन इसके आसपास जन-सुविधाओं का घोर अभाव है। दिल्ली में विदेशी यात्री सुरक्षित नहीं हैं। बड़े शहरों में मिलने वाली खाद्य सामग्री भी उतनी साफ-सुथरी नहीं है, जितनी थाईलैण्ड के एक देहाती इलाके में मिल सकती है। हमारा विदेश वाणिज्य दूतावास भी भारत की छवि को सुधारने में मददगार सिद्ध नहीं हो रहा है। क्या हम इन समस्याओं का हल ढूंढ सकते हैं ? इनमें अधिक निवेश की आवश्यकता भी नहीं है।

भारत में पर्यटन का विकास करने के लिए आव्रजन केन्द्रों और वाणिज्य दूतावासों में सक्षम स्टाफ नियुक्त करना होगा। पर्यटकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना होगा। पर्यटकों को जानकारी प्रदान करने वाला चुस्त-दुरूस्त तंत्र विकसित करना होगा। इंटरनेट पर दी गई जानकारियों में समय और तिथि को सही तरीके से अपडेट करना होगा। इन सबसे हमें रोजगार के अवसरों की कमी को कुछ हद तक पूरा करने में सहायता मिल सकती है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित श्रीनिवासन् सद्गोपन के लेख पर आधारित। 9 मई, 2019

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