एक नई क्रांतिकारी खोज: गुरुत्वाकर्षण-तरंगें

Afeias
03 May 2016
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Date: 03-05-16

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हाल ही में अमेरीका की एक प्रयोगशाला लेज़र इन्टरफेरॉमीटर ग्रेविटेशनल वेब आब्जर्वेटरी, लूसियाना ने ब्रह्माण्ड में विचरण कर रही अद्भूत तरंगों को पकड़ा है। ये हैं- गुरुत्वाकर्षण की तरंगें। भौतिकी के क्षेत्र में इसे एक बहुत ही क्रांतिकारी खोज माना जा रहा है।
भौतिक विज्ञानियों के अनुसार करोड़ों साल पहले दो ब्लैक होल आपस में टकराये थे, जिनका संयुक्त भार लगभग 65 सूर्यों के बराबर था। इनके टकराने के मूल में इन दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति थी। इन दोनों ब्लैक होल्स के टकराने से जो तरंगें पैदा हुईं, उन्हें ही गुरुत्वाकर्षण की तरंगें कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में घटित इस घटना से उत्पन्न ये तरंगें 1.3 अरब बर्षों की लम्बी यात्रा करके अब पृथ्वी पर पहुँची हैं। इन्हीं पहुँची हुई तरंगों को अमेरीका की इस ‘लोगो’ प्रयोगशाला ने पकड़ा है। इन तरंगों के अस्तित्व ने एक बार फिर से वैज्ञानिक आइंस्टाइन को चर्चा में ला दिया है।
सन् 1916 में आइंस्टाइन ने अपना विष्व प्रसिद्ध सापेक्षता का सिद्धांत (जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) प्रकाशित किया था। उसमें उन्होंने पहली बार अतंरिक्ष में ‘स्पेस-टाइम’ के प्रभाव और गतिविधियों का उल्लेख किया था। इस थ्योरी में यह बताया गया था कि ब्रह्माण्ड में स्पेस और टाइम एक विषाल जाल की तरह हर जगह फैला हुआ है। जब कोइ वजनदार वस्तु इस जाल पर गिरती है, तो स्वाभाविक रूप से उस स्थान में एक झोल यानी कि एक विकृृति आ जाती है।
ठीक यही स्थिति दो ब्लैक होल्स के टकराने से आई। इन दो अत्यंत भारी वस्तुओं के टकराने से स्पेस-टाइम के जाल की बुनियादी संरचना में परिवर्तन आ गया। यह परिवर्तन इन गुरुत्वाकर्ष-तरंगों के प्रभाव के कारण आया। यह ठीक उसी तरह है, जैसे किसी शांत तालाब में एक पत्थर फेंकने से उसमें तरंगें उठने लगती हैं। इन्ही तरंगों को ‘गुरुत्वाकर्षण की तरंगें’ कहा गया है, जो स्पेस-टाइम में विकृति लाने की क्षमता रखती हैं। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी थ्योरी में इन तरंगों के मौजूद होने का संकेत दिया था।
इससे पहले न्यूटन ने संसार के सामने गुरुत्वाकर्षण को एक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया था। लेकिन आइंस्टाइन ने बताया कि जब कोई वस्तु स्पेस-टाइम में विकृति लाती है, तब उसके पास से गुजरती हुई वस्तु उस गहराई में फंसकर उस वस्तु के आसपास चक्कर काटने लगती है। इसी सिद्धांत के तहत चन्द्रमा हमारी पृथ्वी के चक्कर काट रहा है। इसी प्रक्रिया को हम गुरुत्वाकर्षण के रूप में जानते हैं।
निःसंदेह रूप से गुरुत्वाकर्षण की इन तरंगों को पकड़ पाना बहुत ही कठिन एवं अत्यंत जटिल प्रक्रिया है। यह काफी ऊर्जा एवं अत्याधिक संवेदनषील किरणों की मदद से संभव हो पाया है। लूसियाना के वैज्ञानिकों द्वारा इसे पकड़ लिया गया।
यह माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में गुरुत्वाकर्षण-तरंगों की यह खोज भौतिक विज्ञान को बहुत विकसित करेगी। यह भौतिकी के अनेक नये सिद्धांतों को खोजने में मदद कर सकती है। साथ ही ब्रह्माण्ड के निर्माण एवं उसके स्वरूप के बारे में भी नई जानकारियां उपलब्ध करायेगी।

आर्यमन अग्रवाल