fbpx
  • Registration for 15 days Classes
  • Pay Remaining Fee for 15 days Classes
  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube
  • Home
  • Classes
  • Audio
    • Life Management
    • Daily Audio Lecture
    • Air News Hindi
    • Air News English
    • Discussions
  • Knowledge Centre
    • Magazines
    • Newspaper Clips
    • Current Content
    • Practice Questions
  • Mock Tests
  • Resources
    • Hindi Articles
    • English Articles
    • Question Papers
    • Syllabus
    • NCERT Books
    • FAQs
  • Videos
  • Books
  • About Us
  • Contact Us
You are here: Home >> Knowledge Centre >> Current Content >> भारतीय नगरों का विकास कैसे हो?

भारतीय नगरों का विकास कैसे हो?

Date: 06-05-16

article-2527291-1A3658FC00000578-935_634x398भारतीय शहरों की जिंदगी को और सुखद एवं सलीकेदार बनाने के लिए शहरों की योजना और प्रबंधन में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता दिखाई देती है। जन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए पर्याप्त धनराशि का भी अभाव है।
शहरों के सुधार के लिए निजी क्षेत्रों से बड़े निवेश की उम्मीद की जा सकती है। इसके लिए अगर पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी में कोई योजना लाई जाए, तो लोगों को दी जाने वाली सुविधाओं के उपयोग पर कर लगाकर इसमें होने वाले निवेश की क्षतिपूर्ति की जा सकती है। फिलहाल राज्य सरकारों को ऐसा करने की छूट नहीं है।

भारत के बड़े और छोटे शहरों में जन सुविधाओं की बदहाली को देखते हुए एक उच्च स्तरीय विशेष समिति (HPEC 2011) बनायी गयी थी। इस समिति ने सुझाव दिया है कि एक मेयर के पास ऐसे अधिकार हों, जिनसे वह शहरों को दी जाने वाली सुविधाओं का कुछ हद तक, व्यवसायीकरण कर सके। इसके लिए इलैक्ट्रॉनिक साधनों से जुड़ी स्मार्ट तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए। ऐसा प्रयोग हैदराबाद, बेंगलूरू, पिंपरी-चिंचवाड़ और सूरत जैसे शहरों में किया गया और यह सफल भी रहा है।

इसी संदर्भ में 2005 से 2014 तक काम करने वाली जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (JNNURM) का नाम आता है। इस मिशन ने शहरों के उद्धार के लिए कई सुधारों की बात कही थी। इस मिशन के अंतर्गत राज्यों और नगरों की स्थानीय सरकारों को सशर्त आर्थिक मदद दी गई थी साथ ही निजी क्षेत्र से भी सहयोग लिया गया था। अमरावती और मलकापुर ने पानी, सूरत और जयपुर ने बेस्ट वाटर ट्रीटमेंट, पुणे ने कूड़े का मैनेजमेंट आदि कुछ क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की।

आज संविधान के 74 वें  संशोधन को हुए 20 सालों से ज्यादा हो चुके हैं। इस संशोधन में प्रस्तावित किया गया था कि राज्य सरकारें एक राज्य वित्त आयोग का गठन करेंगी। इस आयोग से धन का कुछ हिस्सा नगर विकास के लिए स्थानीय सरकारों को दिया जाएगा। परंतु ऐसा हो नहीं पाया। 2001-2 में म्युनिसिपल नगरों की कुल आय 53 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 51 प्रतिशत रह गयी। गौर करने की बात है कि नगरों में संपत्ति कर ही आय का प्रमुख साधन है। परंतु इस कर का निर्धारण राज्य सरकारें करती हैं।

अब वर्तमान सरकार जो कर (GST) लाना चाह रही है, इसको लाने के बाद संवैधानिक तौर पर यह निश्चित किया जाए कि इस कर का कुछ भाग स्थानीय सरकारों को भी दिया जाएगा। इस कर का ढांचा भले ही दो (द्विस्तरीय Two Tiered) होगा, परंतु इसका बँटवारा तीन स्तरों पर होना चाहिए।

जून 2015 में सरकार ने नगरीय विकास के लिए अमृत (Atal mission of rejuvenation and urban Transformation) और स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की है। मूलतः अमृत तो जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिषन का ही एक तरह से परिवर्तित रूप है। इस योजना में पाँच साल की अवधि में शहरी विकास पर 50,000 करोड़ रुपयें लगाए जाने की बात की है। स्मार्ट सिटी मिशन में भी पाँच वर्ष की अवधि में 48,000 करोड़ की राशि से सौ ऐसे नगरों को तैयार करने की योजना है, जो बुनियादी ढांचों की दृष्टि से हाईटैक होंगे। इस योजना के लिए वित्त की व्यवस्था राज्य सरकारों और निजी क्षेत्रों से होगी।

‘‘दि इंडियन एक्सप्रेस’’ में
प्रकाशित एक लेख से साभार

Subscribe to our Newsletter

Share this on WhatsApp

Related posts:

  1. नगर विकास योजनाएं : कितनी सार्थक
  2. पुराने नगरों को स्मार्ट सिटी बनाना संभव है।
  3. भारतीय नगरों की दयनीय स्थिति
  4. नगरों की योजना कैसे तैयार की जाए

Filed Under: Current Content

Content Category

  • Audio
    • AIR News English
    • AIR News Hindi
    • Daily Audio Lecture
    • Discussions
    • Life Management
  • Books
  • Knowledge Centre
    • Current Content
    • Magazines
    • Mock Test
    • Newspaper Clips
    • Practice Questions
  • Resources
    • Articles (English)
    • Articles (Hindi)
    • NCERT Books
    • Question Papers
  • Video

Explore by Topics

Economics GST History

Contact Us

We welcome your valuable feedback, suggestions and advice about our Free study material for Indian Civil Services, IAS Exam preparation, UPSC Entrance Exams, UPSC/IAS Mock Tests, Daily Audio Lectures and many other IAS tutorials to crack UPSC IAS examinations.

Email: info@afeias.com
Phone: 08103515516

About Us

AFEIAS has been established with the aim of providing proper guidance to youths preparing for Indian Civil Services. The important point to note here for IAS aspirants is all of our UPSC/IAS exam preparation Classes are conducted by former civil servant and renowned author, Dr.Vijay Agrawal himself who is on mission to provide right and proper guidance to students preparing for Civil Services Examinations. Continuing with this endeavor Dr. Agrawals’s book, ‘HOW TO BECOME AN IAS‘ is a great milestone in this regard.

We are Social

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

Mobile Apps


Copyright © AFEIAS.COM.

Sitemap | FAQs | Privacy Policy | Terms & Conditions | Mobile App

Website by Yotek Technologies

Digital Marketing by Afzal Khan