बेल्ट रोड इनिशिएटिव का दूसरा चरण
Date:22-05-19 To Download Click Here.
हाल ही में चीन के बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव के दूसरे सत्र का समापन बीजींग में सम्पन्न हुआ है। 2013 में चीन के राष्ट्रपति के नेतृत्व में शुरू किए गए इस इनिशिएटिव के दूसरे चरण में कुछ बदलाव दिखाई देते हैं। भारत, जापान, यूरोप एवं अमेरिका जैसे देशों और कुछ संस्थाओं ने योजना के पहले चरण की यह कहकर आलोचना की थी कि इसके माध्यम से चीन दूसरे देशों के खर्च पर अपनी भूराजनैतिक पैठ बढ़ाना चाहता है। यह भी कहा गया था कि योजना को अपनाने वाले देशों को ऋण के जाल में फंसाया जा रहा है। साथ ही इसे पर्यावरण की दृष्टि से आक्षणीय, अपारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने वाला भी बताया जाता रहा है।
द्वितीय सत्र की मुख्य बातें
चीन के राष्ट्रपति ने समस्त विश्व को इस बात के लिए आश्वस्त करने का प्रयत्न किया कि बी.आर.आई. को पूरे विश्व में द्विपक्षीय लाभ लेने के लिए नहीं बल्कि साझेदारी करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। सम्मेलन के पश्चात् एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई।
- इस विज्ञाप्ति में कहा गया कि ‘‘हमारे राष्ट्रीय कानून, नियामक ढांचे, अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, लागू अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और कानूनों’’ के अनुरूप उच्च मानक, जन-आधारित और सतत् विकास नीति का अनुसरण किया जाएगा।
- इस विज्ञाप्ति पर झीनपिंग के अलावा 37 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हस्ताक्षर किए हैं।
- इसमें शामिल होने वालों में 14 नए देश है।
- विज्ञाप्ति में योजनाओं को सतत् वित्तीय सहायता पहुँचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के विस्तार की बात भी कही गई है।
- इसमें स्थानीय जनता के लिए जीविका के साधनों को बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया गया है।
अभी तक भारत बी.आर.आई. से दूरी रखता चला आया है। बदले परिदृश्य में अब नई सरकार को योजना पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी।
योजना के विरोध में अनेक देशों ने भारत का साथ दिया था, लेकिन आपत्तिजनक मुद्दों पर चीन की कार्यवाही के बाद अब वही देश इसके नियम-कानूनों पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अन्य देशों से बेहतर संपर्क साधने की दृष्टि से कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन देशों में जापान और अमेरिका भी शामिल हैं। इस नाते उसका बी.आर.आई. से जुड़ना लाभप्रद हो सकता है। बी.आर.आई. केवल जल और थल के संपर्क साधन में ही नहीं संलग्न है, बल्कि वह अपना विस्तार डिजिटल और अंतरिक्ष जगत तक भी करने का लक्ष्य रखता है। उसका यह विस्तार वर्तमान में प्रस्तुत चुनौतियों से कहीं बड़ी चुनातियां पैदा करने वाला सिद्ध हो सकता है। भारत को इस दृष्टि से बी.आर.आई. पर विचार करके अपनी भविष्य की नीति तय करनी चाहिए।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 अप्रैल, 2019