पोषण जागरूकता
Date:02-08-19 To Download Click Here.
द इंटीग्रेटैउ चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज (आई सी डी एस) योजना, बाल विकास और देखभाल के क्षेत्र में विश्व की सबसे विस्तृत योजना है। एक नए अध्ययन के अनुसार किसी भी सरकार के लिए पोषण और स्वास्थ्य परामर्श में निवेश करना सर्वोत्तम निवेश माना जा रहा है।
टाटा ट्रस्ट और कोपनहेगन कन्सेंसम की साझेदारी में तैयार की गई रिपोर्ट में 100 सरकारी परियोजनाओं को शामिल किया गया है। भारत द्वारा कुछ वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नीति आयोग की दृष्टि में भी इन योजनाओं का खासा महत्व है। हांलाकि वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दिए गए 169 पैमाने बहुत कठिन हैं। अतः इनमें से 12 ऐसे कार्यक्रमों को सर्वोपरि रखा गया है, जिनमें खर्च किए गए हर रुपये की कीमत सार्थक सिद्ध होती दिखाई दे। इन कार्यक्रमों में पोषण और स्वास्थ्य सबसे अहम् हैं।
कुछ तथ्य
- स्वास्थ्य और पोषण परामर्श कार्यक्रमों के तत्वाधान में लोगों की सोच को बदलने के लिए कोई खास व्यय नहीं करना पड़ता है। इसके अंतर्गत माताओं को पोषक खाद्य पदार्थों का ज्ञान दिया जाता है, जिससे वे अपने बच्चों को पोषक भोजन खिला सकें। ऐसा पोषण पूरी उम्र के लिए उनकी क्षमता को बढ़ा देता है।
- आंध्रप्रदेश और राजस्थान में पोषण परामर्श और हाथ धोने को लेकर छः वर्षीय अभियान चलाया गया। इस पूरे कार्यक्रमों में प्रति महिला खर्च लगभग 1200 रुपये आया, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों के बौनेपन में 12 प्रतिशत का सुधार देखा गया। इससे उनकी सीखने की क्षमता भी बढ़ी।
- कार्यक्रमों पर किए गए अन्य अध्ययन बताते हैं कि आंध्रप्रदेश और राजस्थान में खर्च किए गए प्रत्येक रुपये का समाज को क्रमशः 61 रुपये और 43 रुपये के रूप में प्रतिफल मिला। यह आंकड़ा अन्य राज्यों के लिए अलग हो सकता है, लेकिन यह अवश्य सिद्ध होता है कि पोषण संबंधी परामर्श एक अभूतपूर्व निवेश है।
अगर अन्य देशों की अपेक्षा भारत में स्वास्थ्य और पोषण के लिए दिया जाने वाला परामर्श कम सफल भी रहा, तब भी यह भारत सरकार द्वारा वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किए जा रहे अन्य प्रयासों की तुलना में अभूतपूर्व कहा जा सकता है।
भारत को इस प्रकार के अन्य कार्यक्रमों पर काम करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
‘द हिन्दू’ में प्रकाशित बीजोर्न लॉम्बर्ग और शिरीन वकील के लेख पर आधारित। 11 जुलाई, 2019