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You are here: Home >> Knowledge Centre >> Current Content >> नगर विकास योजनाएं : कितनी सार्थक

नगर विकास योजनाएं : कितनी सार्थक

नगर विकास योजनाएं : कितनी सार्थक

Date:13-05-19

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भारत के नगर विकास का इंजन हैं। बढ़ती शहरी जनसंख्या के साथ ही इनके लिए तरह-तरह की नीतियां भी बनाई जा रही हैं। इन कार्यक्रमों की मजबूती और उनकी कमियों पर एक नजर डाली जानी चाहिए।

  • द अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफार्मेशन (ए एम आर यू टी) कार्यक्रम को जवाहरलाल नेहरु नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जे एन एन यू आर एम) के ही विस्तार के रूप में चलाया जा रहा है। अटल मिशन की परिधि में केवल बड़े शहर हैं, जबकि जवाहर योजना में छोटे शहर भी शामिल थे। जवाहर मिशन की आलोचना इस आधार पर की जाती रही थी कि उनमें छोटे शहरों की अपेक्षा हमेशा बड़े शहरों को महत्व दिया गया। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि योजना में सड़क और परिवहन के साथ-साथ जल और स्वच्छता को भी शामिल रखा गया। वहीं अटल मिशन में सड़कें परिवहन, जल और सीवरेज को तो सम्मिलित किया गया, लेकिन कचरा प्रबंधन को स्वच्छ भारत मिशन के दायरे में रखा गया।

जवाहर योजना ने छोटे और मध्यम शहरों की स्थानीय सरकारों की क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए संघर्ष किया था। इस योजना में नगरों को स्वशासीय बनाए जाने की दिशा में कदम उठाए गए थे। अटल मिशन भी इसी उद्देश्य को लेकर चल रहा है।

अटल योजना की एक बड़ी उपलब्धि योजना आवंटन प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण करना है। लेकिन इससे योजनाओं के निरीक्षण में बाधा उत्पन्न हुई है, और इससे जुड़ी सटीक सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं।

  • शहरी गरीबों को एक करोड़ आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंभ किया गया था। इसकें अंतर्गत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में अर्फोडेबल घर तैयार किए जाने थे। यह योजना पहले से चली आ रही, ‘बेसिक सर्विसेज टू द अर्बन पुअर’ का ही विस्तार कही जा सकती है। बेसिक सर्विसेज योजना में शहरों की परिधि में आवास निर्माण किए गए थे। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी पूर्व योजना की तरह ही खाली पड़े घरों और अयोग्य लाभार्थियों की समस्या पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

ऐसा लगता है कि नई बस्तियों पर अधिक ध्यान देने की जगह सरकार को पहले ही बसी गरीब बस्तियों का विकास करना चाहिए। लोगों की रोजमर्रा की जरूरतो जैसे-स्वच्छ जल, साफ-सफाई, सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण और उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर काम किया जाना चाहिए।

  • शहरों के मध्य वर्ग की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की गई है। इस योजना के माध्यम से सरकार ने डिजीटल रूपांतरण और आधुनिकता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने का प्रयत्न किया। इस मिशन में उन्हीं परंपरागत बुनियादी ढांचा योजनाओं को ले लिया गया, जिन पर अटल मिशन के अंतर्गत पहले ही काम चल रहा था। केवल सूचना व दूरसंचार से जुड़ी कुछ ही नयी योजनाओं को जोड़ा गया है। इन सबके बीच स्थानीय निकायों को सशक्त करने के लक्ष्य अपर्याप्त ही रह गए हैं। यहाँ तक कि मूलभूत सेवाओं तक भी पहुंच नहीं बन पाई है।
  • स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छता से जुड़ी ऐसी योजना है, जिसे व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य समाज के हर तबके की बुनियादी सुविधाओं को पूरा करना है। अटल मिशन भी स्वच्छता से जुड़ा रहा है। परन्तु अन्य कार्यक्रमों में सफाई की नियमितता को उतना महत्व नहीं दिया गया था। स्वच्छ भारत मिशन इस कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा है।

शहरी विकास से जुड़े सभी कार्यक्रमों में असमानता के चलते उनके कार्यान्वयन और परिणामों में कमी रही है। इस कमी को शहरी निकाय ही पूरा कर सकते हैं। विकेन्द्रीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, परन्तु इसके लिए उचित निरीक्षण की जरूरत होगी। योजनाओं के सुचारु संचालन के लिए केन्द्र को ही आगे बढ़कर समय-समय पर डाटा लेने होंगे।

सीधी-सी बात यह है कि अलग-अलग माप के नगरों के लिए एक ही प्रकार की योजना सफल नहीं हो सकती। चलने वाली योजनाओं पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। एक स्तरीय शहरी नीति, जो अपनी छोटी से छोटी बस्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हो, अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित समा खान के लेख पर आधारित। 26 अप्रैल, 2019

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