सी-सेट पेपर की रणनीति

Afeias
28 May 2017
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सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न-पत्र (जो सी-सेट जैसे डरावने नाम से प्रसिद्ध हो चुका है) के बारे में जब विद्यार्थी मेरे सामने अपना भय प्रगट करते हैं, तो मैं उनसे भी अधिक भयभीत हो उठता हूँ। मेरे भय का कारण पेपर का कठिन होना नहीं होता, बल्कि इसके प्रति स्टूडेन्ट का भयभीत होना होता है। मुझे समझ में नहीं आता है कि एक ऐसा पेपर, जो अब मात्र क्वालिफाईंग रह गया है, उसमें ऐसी कौन-सी कठिन और जटिल बात है, जिसको लेकर ऐसे किसी भी स्टूडेन्ट को अपनी सफलता के बारे में आशंकित रहना चाहिए, जिसका ग्रेज्यूएशन हो चुका है। इससे भी बड़ी बात तो यह कि जो देश की नौकरशाही के सर्वोच्च स्तर पर सीधे-सीधे प्रवेश पाना चाहता है, उसे इतना तो मालूम ही होगा कि सिविल सेवा परीक्षा ज्ञानियों की तलाश करने की परीक्षा नहीं है, बल्कि अच्छी मानसिक क्षमता और गुणों वाले युवाओं की तलाश करने का प्रयास है। और सी-सेट यही करता है।

ग्रेज्युएशन किए हुए किसी भी युवा से यदि गणित के कुछ सामान्य से प्रश्न पूछे जाते हैं, तर्क क्षमता से जुड़े प्रश्न किए जाते हैं और वे भी वैकल्पिक पद्धति के अन्तर्गत, तो इसमें भला अन्याय क्या है। हाँ, जब यह पेपर क्वालिफाईंग नहीं था, तब इसे निश्चित रूप से इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के पक्ष में माना जा सकता था, जो सही भी था। लेकिन अब तो बिल्कुल भी नहीं। इसके बावजूद यदि इस परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थी के दिमाग पर इस पेपर का बहुत अधिक दबाव है, तो यह एक चिन्ता की बात है।

अब मैं उस रणनीति की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो इस पेपर को क्वालिफाईंग करने में आपकी बहुत मदद कर सकता है।
यदि आप पिछले पाँच साल के अनसॉल्ड पेपर उठाकर देखें, तो पाएंगे कि कुल 80 प्रश्नों में (100 नम्बर के इस पेपर में कुल 80 प्रश्न पूछे जाते हैं) किसी भी साल अनुच्छेद से 25 से कम प्रश्न नहीं पूछे गये हैं। यानी कि 35 प्रतिशत प्रश्न केवल कम्प्रेहेंशन (भाषाबोध) से होते हैं। दूसरा स्थान तर्क क्षमता का है, जिसके अन्तर्गत पिछले तीन सालों में हर साल 24-24 प्रश्न आये हैं। यानी कि यदि हम इन दोनों को जोड़ दें, तो 80 में से 50 प्रश्न तो सिर्फ इन दो में कवर हो जाते हैं। शेष प्रश्न गणित तथा आकृति एवं आरेख से होते हैं। इसलिए पहली बात तो यह कि आप अपने दिमाग से इस हव्वा को दूर कर दें कि यह गणित का पेपर है।

मेरी इस सलाह को आप बिलकुल अव्यावहारिक न मानें कि अनुच्छेद से आपको कम से कम 75 प्रतिशत प्रश्न सही-सही हल करने की कोशिश करनी चाहिए। विश्वास कीजिए कि ऐसा करना बिलकुल भी कठिन नहीं है। गणित और तर्क क्षमता के बारे में मैं आपकी कमजोरी और शिकायतों को मान भी लेता हूँ। लेकिन यदि आप अनुच्छेद के बारे मे भी उसी तरह की शिकायतें करेंगे, तो फिर मैं आपसे पूछना यही चाहूँगा कि फिर आपके पास है ही क्या? कम से कम यह भाग तो पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आपने पढ़े हुए अंश को सही-सही समझा है या नहीं। यदि यह समझ में नहीं आ रहा है, तो मानकर चलिए कि आपने सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी के लिए जो कुछ भी पढ़ा है, वह भी उस तरह से समझ में नहीं आया होगा, जैसा कि सिविल सर्विस की तैयारी के लिए आना चाहिए।

अनुच्छेद पूरी तरह से आपकी प्रैक्टिस, आपके फोकस और आपकी गति (स्पीड) पर आधारित होता है। ऐसा अचानक नहीं हो सकता। आप इसके लिए जितनी ज्यादा प्रैक्टिस करेंगे, आपके दिमाग की लय उतनी ही उसके साथ तालमेल बैठाती जाएगी। ‘‘जितना ही अधिक’’ का मतलब अनुच्छेदों की संख्या से नहीं है, बल्कि उसकी निरन्तरता से है। यानी कि यदि आप 50 अनुच्छेद हल कर रहे हैं, तो यह काम चार दिनों में न करके 25 दिनों में किया जाना चाहिए। फटाफट निपटा देने की नीति आपके दिमाग को परीक्षा के अनुच्छेद के सांचे में नहीं ढाल सकेगी।
अनुच्छेद का अंश वह अंश है, जहाँ बहुत ज्यादा स्कोर करके आप अपनी की क्वालिफाईंग पात्रता को सुनिश्चित कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपने 75 प्रतिशत प्रश्न हल कर लिए, जो बिलकुल भी मुश्किल नहीं है, तो इसका मतलब यह हुआ कि आपके 20 प्रश्न सही हो गए। इस प्रकार आपका स्कोर हो जाएगा 50 मार्क्स का।

क्वालिफाईंग मार्क्स 33 प्रतिशत है। यानी कि आपको केवल 66 नम्बर स्कोर करने हैं। इसमें से 50 नम्बर आपने अनुच्छेद से स्कोर कर लिये हैं। अब आपको केवल 16 मार्क्स और लाने हैं, जिसके लिए 7 प्रश्न हल करने होंगे। आइए, अब देखते हैं कि ऐसा कैसे किया जा सकता है-

  •  अब आपको तर्क क्षमता वाले ऐसे प्रश्नों को अधिक से अधिक समय देकर हल करना चाहिए, जो आपको थोड़े ठीक लग रहे हों। मुझे नहीं लगता कि इस तरह के पूछे गए 24 प्रश्नों में से आपको 7 प्रश्न इसी से नहीं मिल जाएंगे। आपका काम यहीं पूरा हो जाएगा। फिर भी यदि ऐसा नहीं हो रहा हो, तो आगे अभी बहुत गुंजाइश है।
  • अनसॉल्ड पेपर उठाकर देखें। आप पाएंगे कि आकृति एवं आरेख से जो प्रश्न पूछे जाते हैं, उनमें दो-तीन तो ऐसे होते ही हैं, जिन्हें बहुत आसानी से हल किया जा सकता है।
  • गणित के प्रश्नों में कम से कम दो प्रश्न बहुत ही आसान होते हैं। इनमें से एक होता है, औसत का और दूसरा होता है, प्रतिशत का। इसका फार्मूला बहुत सरल है और इसे आपको सीख लेना चाहिए।
    अब आपका स्कोर क्वालिफाईंग से काफी अच्छा हो जाएगा तथा आप पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे।
    अब मैं आपसे कुछ सावधानियों के बारे में कहना चाहूँगा-
  • जिन प्रश्नों को आप सही-सही हल नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें बिलकुल छोड़ दें। अनुमान के आधार पर किसी का भी उत्तर किसी भी हालत में न दें।
  •  जो प्रश्न आपको थोड़े कठिन, अटपटे या अस्पष्ट लग रहे हों, उनमें समय बिलकुल भी बर्बाद न करें। इससे बेहतर होगा कि आप अपनी पकड़ वाले प्रश्नों पर अधिक समय लगाकर यह सुनिश्चित करें कि उत्तर बिलकुल सही हैं।
  • जो प्रश्न नहीं बन रहे हैं, उनको लेकर हताश और निराश होने की मनोवैज्ञानिक बीमारी से खुद को बचाएं। यहाँ 90 प्रतिशत स्कोर की कीमत उतनी ही है जितनी कि 35 प्रतिशत की। इस सत्य को पूरी दृढ़ता से स्वीकार कर लें। अपनी मानसिक मजबूती को बनाए रखें।
    आप पाएंगे कि सफलता आपके साथ होगी।

नोट:- डॉविजय अग्रवाल द्वारा यह लेख सबसे पहले दैनिक जागरणजोशमें प्रकाशित हो चुका है।