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परीक्षा के अंतिम परिणामों के मुख्य दो आधार होते हैं। पहला होता है, पास होने का, और दूसरा होता है, सेलेक्ट होना है। पास होना जहाँ पूरी तरह आपके अपने ऊपर होता है, वहीं सिलेक्ट होना बहुत कुछ दूसरों के ऊपर भी कि उन्होंने कितना स्कोर किया है। यानी कि यह दुतरफा है। यह एक प्रकार से मैच की तरह है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि ऐसी परीक्षाओं में; जिन्हें इस प्रतियोगी परीक्षा कहते हैं, सफल होने के लिए एक ठोस एवं व्यावहारीक रणनीति बनाकर उसकें अनुसार काम किया जाये। ऐसा करने से हमारी मेहनत फोकस्ड हो जाती है, जिसके फलस्वरूप अच्छे परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। कहना नहीं होगा कि फिर यदि परीक्षा आई.ए.एस. बनने के लिए हो, तब तो यह एक प्रकार से अनिवार्य ही हो जाता है।
आमतौर पर इस परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों के मन में दो गलत धारणाएं बैठी हुई हैं। पहली यह कि 65-70 प्रतिषत नम्बर लाये बिना बात नही बनती है। दूसरी यह कि जितने प्रष्न पूछे जाते हैं, वे सब अच्छे से अच्छे बनने ही चाहिए। हाँ, यह बात वैकल्पिक विषय पर जरुर लागू होती है, लेकिन सामान्य अध्ययन पर नहीं।
इन्ही दो मुख्य तथ्यों को ध्यान में रखकर मैं यह लेख लिख रहा हूँ, ताकि आपको एक विष्वसनीय एवं व्यावहारीक रास्ता दिखाई दे सके। ध्यान रहे कि इस लेख का संबंध मुख्य परीक्षा में अधिक से अधिक नम्बर पाने की रणनीति से है, तैयारी करने की रणनीति से नहीं।
पहले हम बात करते हैं 65-70 प्रतिषत नम्बर स्कोर करने संबंधी गलतफहमी की। वस्तुतः सच्चाई न केवल इससे अलग ही है, बल्कि इससे काफी दूर भी है। मुझे लगता है कि आपको इस सच्चाई को जानना ही चाहिए। खासकर इसलिए तो जानना ही चाहिए, ताकि आप अपने दिमाग को अंकों के अनावश्यक दबाव से मुक्त कर सकें। मैंने इसे महसूस किया है। पहले मैं भी वही सोचता था, जिसकी चर्चा मैंने इससे पहले की है। सत्तर प्रतिशत से कम स्कोर वाला स्टूडेन्ट भला आई.ए.एस. कैसे बन सकता है? लेकिन जब मुझे पता लगा कि साठ प्रतिशत वाला टॉप करता है और पचास प्रतिशत तक वाले का सिलेक्शन हो जाता है, तब मुझे पहली बार लगा कि यह मेरी पहुँच के अन्दर है और मैं ऐसा कर सकता हूँ। मैंने ऐसा कर लिया। मैं यहाँ इस सत्य को उद्घाटित करना चाहूँगा कि यदि मुझे सही स्कोर की जानकारी नहीं होती, तो मैं इसमें सफल होने के बारे में कभी सोच ही नहीं सकता था।
हाँ, इस बात का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस परीक्षा में पचास प्रतिशत नम्बर लाना भी आसान काम नहीं है। सच यह है कि यह काफी कठिन है। यह उससे भी कठिन है जितना कि यूनिवर्सिटी की परीक्षा में पचहत्तर प्रतिशत मार्क्स लाना।
यह तो इसके आँकड़े का पक्ष हुआ। इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष बिल्कुल ही दूसरा है। मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि यूनिवर्सिटी में पचास प्रतिशत लाने वाले विद्यार्थी के दिमाग में आई.ए.एस. की परीक्षा में पचहत्तर प्रतिशत स्कोर करने की चुनौती बनी हुई है, तो वह इसे अपनी पहुँच से एकदम ही बाहर पाएगा। उसे यह दूर की कौड़ी मालूम पड़ेगी। लेकिन यदि उसे यह पता लग जाए कि पचास प्रतिशत नम्बर लाने पर भी बात बन जाएगी, तो वह इसे सम्भव मान सकता है। यह बात अलग है कि वह इसे सम्भव कर पाता है या नहीं कर पाता। लेकिन प्रयास करने के बारे में सोच तो सकता ही है। इसीलिए मैं यहाँ आपके सामने मुख्य परीक्षा का एक सामान्य स्कोर कार्ड प्रस्तुत कर रहा हूँ। लेकिन इससे पहले कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें-
- पचपन प्रतिशत अंक लाने पर टॉप करने की आशा की जा सकती है। यदि टॉप नहीं, तो शुरू के दस उम्मीदवारों में नाम आने की उम्मीद तो पक्का रहती ही है।
- लगभग चालीस प्रतिशत स्टूडेन्ट ऐसे होते हैं, जिनका स्कोर पचास से पैंतालीस प्रतिशत के बीच होता है।
- सामान्यतया 50 से 60 प्रतिशत सफल विद्यार्थी वे होते हैं, जिनके प्राप्तांक 40 से 45 प्रतिशत के बीच होते हैं।
- शुरू के सौ विद्यार्थियों के बीच में अंकों का विवरण कुछ इस प्रकार का होता है कि एक जैसे नम्बर पाने वाले स्टूडेन्ट्स की संख्या 4-5 होती है।
- बाद में यह संख्या बढ़ जाती है। यदि हम नीचे से आधे चयनित उम्मीदवारों के अंकों को देखें, तो समान अंक पाने वाले दस-दस विद्यार्थी दिखाई देते हैं।
- हालाँकि यह बिल्कुल निश्चित अवधारणा नहीं है, फिर भी सामान्यतया हर साल प्राप्तांकों की प्रवृत्ति लगभग-लगभग यही देखी गई है।
- अब मैं आता हूँ विभिन्न विषयों के स्कोर संबंधी अवधारणा पर –
- निबन्ध में पचास प्रतिशत नम्बर तो सामान्य रूप में मिल ही जाते हैं। थोड़ी-सी मेहनत करने पर इसे डेढ़ सौ नम्बर तक पहुँचाया जा सकता है। यानी कि साठ प्रतिशत। लेकिन ऐसे विद्यार्थी भी मिले हैं, जिन्होंने इसमें 160 नम्बर यानी कि 64 प्रतिशत तक मार्क्स प्राप्त किए हैं।
- जहाँ तक सामान्य ज्ञान के चारों पेपर्स का सवाल है, इनमें अच्छा स्कोर कर पाना सबसे बड़ी चुनौती दिखाई देती है। यदि आप इन चारों पेपर्स में 45 प्रतिशत नम्बर भी हासिल कर लेते हैं, तो यह एवरेस्ट पर पताका फहराने से कम नहीं होगा। जी हाँ, 45 प्रतिशत।
- जहाँ तक वैकल्पिक विषय में स्कोर करने का सवाल है, इसमें अधिकांश विद्यार्थी पचास से पचपन प्रतिशत तक स्कोर कर लेते हैं। मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों ने साठ-पैंसठ तक का स्कोर किया है।
- अब मैं आपको वह एक काल्पनिक स्कोर बोर्ड दिखाने जा रहा हूँ, जिसे हासिल करना आपका लक्ष्य होना चाहिए। यह स्कोर बोर्ड सिलेक्ट होने के लिए ही नहीं, बल्कि आरम्भ के सौ सफल उम्मीदवारों में स्थान पाने के लिए है। अतरू आप इस स्कोर बोर्ड का इस्तेमाल अपने टारगेट के रूप में कर सकते हैं। यह अधिकतम स्कोर नहीं है। यह न्यूनतम भी नहीं है। आप इसे अधिकतम से थोड़ा कम, न्यूनतम से काफी ऊपर तथा मध्य से थोड़ा ऊपर का मानकर चल सकते हैं।
विषय कुल अंक लक्षित न्यूनतम प्राप्तांक
निबन्ध 250 150
सामान्य ज्ञान – प्रथम 250 90
सामान्य ज्ञान – द्वितीय 250 90
सामान्य ज्ञान – तृतीय 250 80
सामान्य ज्ञान – चतुर्थ 250 100
वैकल्पिक विषय – प्रथम प्रश्न-पत्र 250 135
वैकल्पिक विषय – द्वितीय प्रश्न-पत्र 250 135
इन्टरव्यू 250 160
- अब मैं आपके सामने एक अन्य स्कोर बोर्ड प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस स्कोर बोर्ड का संबंध इस बात से है कि परीक्षा हॉल में आप अपने पेपर्स के कितने प्रतिशत प्रश्नों को किस तरीके से हल करेंगे। हल करने का यह प्रतिशत मैंने बहुत से सफल विद्यार्थियों से बातचीत के आधार पर निकाला है। स्वाभाविक है कि इसे बिल्कुल ही सही तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन सही के आसपास जरूर कहा जाना चाहिए।
चार्ट को प्रस्तुत करने के पीछे मेरा मूल उद्देश्य यह है कि आप इसे देखने के बाद परीक्षा के बारे में अपनी तैयारी की रणनीति को एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप दे सकें। जैसा कि मैं पहले बता चुका हूँ, परीक्षा की तैयारी के लिए आपको पूरे पाठ्यक्रम के साथ समान रूप से व्यवहार नहीं करना है। उनकी उपयोगिता की संभावनाओं को आधार बनाकर आप उन पर अपनी तैयारी को वैसा ही रूप देंगे। यह चार्ट इसमें आपकी मदद करेगा।
मैं सिविल सेवा की तैयारी की सबसे बड़ी चुनौती इस बात को मानता हूँ कि स्टूडेन्ट खुद को इसके अनावश्यक दबाव और आतंक से कितना मुक्त रख पाता है, बावजूद इसके कि वह इसे एक चुनौती के रूप में लेता रहे। यह स्कोर बोर्ड आपको अपने दिमाग को संतुलित रखने में मददगार सिद्ध हो सकता है।
इस स्कोर बोर्ड में मैंने किसी पेपर के हल किए जाने वाले प्रश्नों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। पहली श्रेणी में उन प्रश्नों का औसत है, जिन्हें बहुत अच्छे तरीके से हल किया गया है। यानी कि इन प्रश्नों पर विद्यार्थी की बहुत अच्छी पकड़ थी। दूसरी श्रेणी में उन प्रश्नों का प्रतिशत है, जो औसत श्रेणी के थे। इसे आप मध्यम दर्जे का कह सकते हैं। यानी कि तैयारी अच्छी तो नहीं थी, फिर भी उत्तर ठीक-ठाक रहे। तीसरी श्रेणी में उन प्रश्नों के उत्तरों का प्रतिशत है, जिन पर कोई तैयारी नहीं थी। जिनके बारे में ज्यादा कुछ पता भी नहीं था। लेकिन फिर भी उन्हें यह मानकर हल किया गया कि ‘‘एकदम छोड़ देने से तो बेहतर ही है कि कुछ लिखकर आया जाए। हो सकता है कि कुछ मिल ही जाए, अन्यथा तो कुछ मिलना है नहीं।’’
मैंने जान-बूझकर चौथी श्रेणी नहीं बनायी है, जो उन प्रश्नों के प्रतिशत की हो सकती थी, जिन्हें पूरी तरह छोड़ ही दिया गया। ऐसे प्रश्नों को आप तीसरी श्रेणी में शामिल कर सकते हैं।
तो अब आप देखें यह स्कोर बोर्ड:
प्रश्न-पत्र सर्वोत्तम औसत नाममात्र को
निबन्ध 85 प्रतिशत 15 प्रतिशत –
सामान्य अध्ययन-प्रथम 40 प्रतिशत 40 प्रतिशत 20 प्रतिशत
सामान्य अध्ययन-द्वितीय 50 प्रतिशत 30 प्रतिशत 20 प्रतिशत
सामान्य अध्ययन-तृतीय 40 प्रतिशत 40 प्रतिशत 20 प्रतिशत
सामान्य अध्ययन-चतुर्थ 85 प्रतिशत 15 प्रतिशत –
वैकल्पिक विषय-प्रथम 75 प्रतिशत 15 प्रतिशत 10 प्रतिशत
वैकल्पिक विषय-द्वितीय 70 प्रतिशत 20 प्रतिशत 10 प्रतिशत
साक्षात्कार 60 प्रतिशत 20 प्रतिशत 30 प्रतिशत
ये सामान्य आँकड़े हैं, किन्तु एक बेहतरीन रणनीति का हिस्सा। यदि आप सच में इसके अनुसार परीक्षा में अपने पेपर्स हल करके आ पाए, तो आपको उम्मीद करनी चाहिए कि आपको शुरू के सौ सफल उम्मीदवारों में स्थान मिल जाएगा। यहाँ यह ध्यान रहे कि इतना कुछ कर पाना आसान नहीं है। साथ ही यह भी ध्यान में रखें कि ऐसा कर पाना असम्भव भी नहीं है। हाँ, थोड़ा कठिन तो जरूर है और यदि आपने सिविल सर्वेन्ट बनने का रास्ता चुना है, तो फिर आपके दिमाग में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि ‘‘मैंने एक कठिन रास्ता चुना है।’’
NOTE: This article by Dr. Vijay Agrawal was first published in ‘Civil Services Chronicle’.