प्री के चार मुख्य स्तम्भ

Afeias
08 Apr 2019
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सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी आपको स्पष्टतः दो भागों में बाँटकर करनी चाहिए, जैसा कि मैंने अपने इससे पहले के लेख में स्पष्ट किया था-सिलेबस के अनुसार तैयारी, तथा परीक्षा की दृष्टि से तैयारी। इस लेख में मैं सिलेबस के अनुसार व्यवस्थित तैयारी करने के बारे में कुछ बातें करने जा रहा हूँ।

यदि आपने प्री-परीक्षा के कम से कम पाँच सालों के पूर्व के पेपर्स का विषयवार विश्लेषण किया होगा, तो दो सबसे मुख्य तथ्य स्पष्ट हुए होंगे। पहला यह कि विषय की दृष्टि से प्रारम्भिक परीक्षा के चार सबसे प्रमुख स्तम्भ होते हैं। ये हैं-संविधान, भूगोल, इतिहास एवं अर्थशास्त्र। दूसरा यह कि सन् 2014 से 2018 तक (पिछले पाँच साल) के विश्लेषण बताते हैं कि यदि इन चारों विषयों पर पूछे जाने वाले प्रश्नों को मिला दिया जाये, तो कुल सौ प्रश्नों में इनकी संख्या क्रमशः 61, 72,, 69, 74 और 70 है। इससे इस साल की रणनीति के लिए हम यह एक अनुमानित निष्कर्ष, जो सत्य के काफी करीब होगा, निकाल सकते हैं कि यह आँकड़ा 65 के आसपास हो सकता है। यह निष्कर्ष मात्र आँकड़ा नहीं है, बल्कि आपकी तैयारी का एक स्पष्ट राजमार्ग है।

इस राजमार्ग में ये चार छोटे-छोटे रास्ते आकर मिलते हैं। लेकिन इन चारों का अपना-अपना योगदान कितना होता है, यह निश्चित नहीं रहता। इसके बारे में प्रश्नों में बहुत विचलन (फ्लक्चुएशन) देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर सन् 2014 में भूगोल से कुल 22 प्रश्न पूछे गये। जबकि दो साल बाद उसकी संख्या घटकर मात्र 6 रह गई। हाँ, राजनीति विज्ञान (संविधान) और इतिहास के विषय में यह विचलन इतना अधिक नहीं है। सामान्यतया इन विषयों का परिदृश्य न्यूनतम 12 एवं अधिकतम 21 का है।

कुल-मिलाकर बात यह है कि किस विषय से कितने प्रश्न पूछे जायेंगे, यह कहना मुष्किल है। लेकिन एक यह बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है कि इन चारों विषयों से मिलाकर कुल सौ में से 65 प्रश्न तो पूछे ही जायेंगे। और इस सत्य को जान लेना तैयारी करने की दृष्टि से कम बड़ी बात नहीं है।

अब मैं आता हूँ, तैयारी करने के तरीके पर। सबसे पहले मैं आपको इस एक सबसे चुनौतीपूर्ण तथ्य से अवगत कराना चाहूंगा और आगाह भी कि प्रारम्भिक परीक्षा के लिए यूपीएससी ने इन चारों विषयों का जो पाठ्यक्रम दिया है, वह कुछ ज्यादा ही संक्षिप्त है, अस्पष्ट है, फलतः व्यावहारिकता से परे है। इसलिए आपको प्री के पाठ्यक्रम को जानने के लिए दो मुख्य तत्वों का सहारा लेना चाहिए। ये दो तत्व है – प्री परीक्षा के पिछले कुछ सालों में पूछे गये प्रश्न तथा इन विषयों से संबंधित मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम। आपके पास इन दोनों के कोई विकल्प नहीं हैं।

यदि आप इस दृष्टि से पूरे पाठ्यक्रम की तैयारी कर चुके हैं, तो ‘‘नथिंग लाइक दैट’’ (इसके जैसी कोई बात नहीं)। और यदि नहीं, तो अब इतना वक्त आपके पास नहीं है कि आप ऐसा कर सकेंगे। तो फिर आपको क्या करना चाहिए? उपाय केवल एक रह गया है कि पाठ्यक्रम के उन मुख्य हिस्सों पर ध्यान दें, जिनसे सबसे अधिक प्रश्न पूछे जाने की संभावना रहती है। फिलहाल यही एक वह नीति है, जो आपके लिए सर्वाधिक लाभदायक सिद्ध हो सकती है।

– डाॅ॰ विजय अग्रवाल
(आप पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं afeias.com के संस्थापक हैं।)

Note: This article of Dr. Vijay Agrawal was published in “Jagran Josh” dated 20-March-2019.