fbpx
  • Registration for 15 days Classes
  • Pay Remaining Fee for 15 days Classes
  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube
  • Home
  • Classes
  • Audio
    • Life Management
    • Daily Audio Lecture
    • Air News Hindi
    • Air News English
    • Discussions
  • Knowledge Centre
    • Magazines
    • Newspaper Clips
    • Current Content
    • Practice Questions
  • Mock Tests
  • Resources
    • Hindi Articles
    • English Articles
    • Question Papers
    • Syllabus
    • NCERT Books
    • FAQs
  • Videos
  • Books
  • About Us
  • Contact Us
You are here: Home >> Resources >> Articles (Hindi) >> कैसे पढ़ें-2

कैसे पढ़ें-2

To Download Click Here.

मैं आपको पुस्तक में निहित विषय-वस्तु के साथ सही व्यवहार करने, उसका सही निचोड़ निकालने के संदर्भ में कुछ उन तथ्यों को बताने जा रहा हूँ जो आपके मस्तिष्क में मौजूद सूचनाओं को ज्ञान में परिवर्तित करने में आपकी मदद करेंगे। यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर दूँ कि मैं विज्ञान का विद्यार्थी नहीं रहा हूँ। विज्ञान की मेरी समझ सामान्य ज्ञान तक ही सीमित है। इसलिए विज्ञान के विषयों पर मेरी ये बातें कितनी लागू हो सकती हैं, मैं बिल्कुल भी नहीं जानता। मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि आर्ट्स के विषयों पर इन्हें लागू करके काफी फायदा लिया जा सकता है। तो अब मैं आता हूँ पुस्तक की विषय-वस्तु को आत्मसात के बारे में।

(i) पहले अध्याय का महत्व
आमतौर पर आर्ट्स के विद्यार्थी पहले अध्याय को बहुत हल्के-फुल्के तरीके से लेते हैं। जबकि मैं समझता हूँ कि यह सबसे महत्वपूर्ण अध्याय होता है, क्योंकि यह पूरे विषय के लिए नींव का काम करता है। हो सकता है कि इस पहले अध्याय से परीक्षा में कभी कोई भी प्रश्न पूछा न गया हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे पढ़ें ही नहीं। आपको चाहिए कि आप इस अध्याय को न केवल पढ़ें ही, बल्कि अच्छी तरह समझने की कोशिश भी करें। यदि आपने इसे अच्छी तरह समझ लिया, तो समझ लीजिए कि आपने उस विषय को पढऩे की एक बहुत अच्छी शुरुआत कर दी है। आपने एक ऐसी मास्टर चाबी पा ली है, जिससे आपके लिए आगे के अध्यायों के तालों को खोलने में आसानी होगी।

(ii) कंसेप्ट को समझें
जब मैं स्टूडेन्ट्स से कहता हूँ कि कला के विषय भी विज्ञान होते हैं, तो वे मेरे मुँह की ओर देखने लगते हैं। क्या ऐसा नहीं है? यदि ऐसा नहीं है, तो क्यों राजनीति के साथ विज्ञान या समाज के साथ ‘शास्त्र’ शब्द जोड़ा गया है? यह इस बात का सूचक है कि कला का भी अपना विज्ञान होता है, भले ही उसका विज्ञान विज्ञान की तरह का विज्ञान न हो।
यदि आप एक बार इस तथ्य को स्वीकार कर लेते हैं, तो आप पाएँगे कि आट्र्स के विषयों को पढऩे की आपकी दृष्टि ही बदल गई है। अब आप विषय को नहीं पढ़ेंगे बल्कि विषय के कंसेप्ट को पकडऩे की कोशिश करेंगे, उसकी अवधारणा को समझने के प्रयास करेंगे। इस बात पर तनिक भी संदेह न करें कि प्रत्येक विषय की और प्रत्येक विषय के प्रत्येक नए अध्याय की वैसे ही एक ठोस, मज़बूत और केन्द्रीय अवधारणा होती है जैसे कि प्रत्येक मनुष्य के शरीर में रीढ़ की हड्डी होती है। इसी रीढ़ की हड्डी पर पूरी देह का ढाँचा खड़ा रहता है।
उदाहरण के तौर पर आप भूगोल को लें। इसे मैं विज्ञानों का भी विज्ञान मानता हूँ- शुद्धतम् विज्ञान। इस विषय की मूल अवधारणा ग्लोब में छिपी हुई है। या इसे यूँ कह लें कि नक्शे (Map) के सिद्धांत में निहित है। यदि आप भूगोल की अक्षांश-देशांश रेखाओं, समुद्र, वायु, पृथ्वी आदि के परस्पर संबंध तथा इनके विज्ञान को समझ लेते हैं, तो पूरा का पूरा भूगोल आपके लिए बाएँ हाथ का खेल बन जाता है। फिर आपको यह रटने की जरूरत नहीं रह जाती कि पृथ्वी के किस हिस्से की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति क्या होगी।
ठीक यही बात राजनीतिशास्त्र पर लागू होती है, अर्थशास्त्र पर भी लागू होती है, इतिहास पर लागू होती है तथा अन्य उन सारे विषयों पर लागू होती है जो मानव जाति (Huminity) से जुड़े विषय हैं। यह पुस्तक मुझे यहाँ इसके अधिक विस्तार में जाने की अनुमति नहीं दे रही है।

(iii) परस्पर सम्बन्ध कर पढ़ें
Huminity पर आधारित कोई भी विषय समुद्र में उभरे हुए द्वीप की तरह नहीं होता है कि उसका संबंध अन्य किसी से हो ही नहीं। प्रत्येक विषय न केवल अपने आगे और पीछे के अध्यायों से ही जुड़ा होता है, बल्कि अन्य विषयों से भी जुड़ा होता है। जब आप इतिहास पढ़ते हैं, तो क्या आप उस समय की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितियों के बारे में नहीं पढ़ते? क्या समाजशास्त्र एंथ्रोपोलॉजी से अलग है, और उसका विज्ञान और भूगोल से कोई लेना-देना नहीं होता? मनोविज्ञान और जीवन विज्ञान के परस्पर संबंधों को बताने की $जरूरत मैं नहीं समझता। किसी देश के इतिहास को जाने बिना उस देश की वर्तमान राजनीति को समझ पाना आसान नहीं होता है। दरअसल Huminity के सारे विषय नक्शे पर दिखाये गए महासागरों की तरह होते हैं। ये महासागर नक्शे के अलग-अलग स्थानों पर मौजूद हैं और उनके अलग-अलग नाम भी हैं, लेकिन इनका पानी अलग-अलग नहीं है। इनके पानी के बीच में आपसी आवाजाही बनी रहती है। इसे ही हम इंटरकनेक्टीविटी (पारस्परिक जुड़ाव) कहते हैं और विषयों को पढऩे के बारे में इसी पद्धति को कहा जाता है- इंटरडिसीप्लीनरी एप्रोच, यानी कि विभिन्न विषयों को एक-दूसरे से जोड़कर पढऩा। इस तरह पढऩे से आपमें सूचनाओं को ज्ञान में परिवर्तित कर देने की इतनी ज़बर्दस्त क्षमता आ जाती है कि उसकी अभी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। आई.ए.एस. को इसी क्षमता से युक्त नौजवान चाहिए।

(iv) मॉडल्स बनाएँ
एक प्रकार से इसका संबंध भी इमेजेस बनाकर पढऩे से ही है। इमेज और मॉडल में फर्क यह है कि इमेज आप किसी एक टॉपिक या किसी एक विशेष अंश की बनाते हैं। जबकि मॉडल एक बहुत बड़े भाग का बनता है, जिसमें कई चैप्टर शामिल हो सकते हैं और यहाँ तक कि पूरा विषय तक शामिल हो सकता है। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आप समाजशास्त्र पढ़ रहे हैैं। इसके लिए आपका अपना परिवार, आपका अपना गाँव या शहर, वहाँ के रीति-रिवाज, वहाँ के लोगों का बात-व्यवहार और संस्कृति आदि सभी कुछ आपके लिए मॉडल का काम करते हैं। यदि आप लोक-प्रशासन पढ़ रहे हैं, तो कलेक्टर का ऑफिस, पंचायती व्यवस्था, लोकसभा और विधानसभा के होने वाले चुनाव आदि आपके लिए मॉडल का काम कर सकते हैं। यहाँ तक कि इतिहास के भी बहुत मॉडल बन सकते हैं। यदि आपके पास ग्रामीण जीवन का थोड़ा-बहुत अनुभव हो, तो खासकर ऐसे गाँवों की जीवन-पद्धति इतिहास को समझने में बहुत मदद करती है जहाँ अभी भी स्थानीय ज़मींदारों का प्रभुत्व है- बावजूद इसके कि कानूनन उसे समाप्त किया जा चुका है।

फिलहाल इस बारे में मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि आप यह कोशिश करें कि जो विषय आप पढ़ रहे हैं या जिस अध्याय को पढ़ रहे हैं, उससे संबंधित कौन-सी जीवन्त स्थिति आपको अपने आसपास मिल सकती है। यदि आप किसी भी ऐसी मौजूदा स्थिति को ढूँढ़ निकालते हैं, तो फिर आपको करना यह चाहिए कि जब भी उस बारे में पढ़ें, उसके तथ्यों को उस जीवन्त स्थिति पर लागू करते जाएँ। आपको लगेगा कि आपके साथ कोई चमत्कार घटित हो रहा है। चूँकि अब चीज़ें बहुुत स्पष्ट रूप से आपके सामने आती जा रही हैं, इसलिए समझने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। चूँकि समझने में दिक्कत नहीं हो रही है, समझ लीजिए कि अब विश्लेषण करने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी।

नोट : ऊपर दिया गया आर्टिकल जल्द ही आने वाली पुस्तक “आप IAS कैसे बनेंगे” से लिया गया है।

Subscribe to our Newsletter

Share this on WhatsApp

Related posts:

  1. कैसे पढ़ें-1
  2. कैसे पढ़ें-3
  3. अखबारों से कैसे निपटें-1
  4. ऑप्शनल पेपर का चयन कैसे करें

Filed Under: Articles (Hindi)

Content Category

  • Audio
    • AIR News English
    • AIR News Hindi
    • Daily Audio Lecture
    • Discussions
    • Life Management
  • Books
  • Knowledge Centre
    • Current Content
    • Magazines
    • Mock Test
    • Newspaper Clips
    • Practice Questions
  • Resources
    • Articles (English)
    • Articles (Hindi)
    • NCERT Books
    • Question Papers
  • Video

Explore by Topics

Economics GST History

Contact Us

We welcome your valuable feedback, suggestions and advice about our Free study material for Indian Civil Services, IAS Exam preparation, UPSC Entrance Exams, UPSC/IAS Mock Tests, Daily Audio Lectures and many other IAS tutorials to crack UPSC IAS examinations.

Email: info@afeias.com
Phone: 08103515516

About Us

AFEIAS has been established with the aim of providing proper guidance to youths preparing for Indian Civil Services. The important point to note here for IAS aspirants is all of our UPSC/IAS exam preparation Classes are conducted by former civil servant and renowned author, Dr.Vijay Agrawal himself who is on mission to provide right and proper guidance to students preparing for Civil Services Examinations. Continuing with this endeavor Dr. Agrawals’s book, ‘HOW TO BECOME AN IAS‘ is a great milestone in this regard.

We are Social

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

Mobile Apps


Copyright © AFEIAS.COM.

Sitemap | FAQs | Privacy Policy | Terms & Conditions | Mobile App

Website by Yotek Technologies

Digital Marketing by Afzal Khan