चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में शीर्ष न्यायालय का त्वरित कदम
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने 30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव को निरस्त कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि इस चुनाव में धांधली हुई थी। लोकतंत्र में चुनावों की अखंडता को बनाए रखने के लिए न्यायालय का निर्णय उचित कहा जा सकता है। निर्णय से जुड़े कुछ बिंदु –
- न्यायालय ने अपना निर्णय संविधान के अनुच्छेद 142 के आधार पर दिया है। यह खंड उसे ‘पूर्ण न्याय’ प्रदान के लिए ऐसा आदेश पारित करने की अनुमति देता है।
- चुनाव दोबारा कराने की मांग को भी खारिज कर दिया गया है, क्योंकि मतपत्रों की जांच के बाद न्यायालय को यह सही नहीं लगा। इसके अलावा निगम के पास अपने ऐसे नियम हैं, जिनके अनुसार मतपत्रों को अवैध बताया जा सकता है। यह बात सामने आई है कि पीठासीन अधिकारी ने ही परिणाम को बदला था। उसने न्यायालय को गुमराह भी किया। अतः उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है।
- न्यायालय का यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस पर त्वरित कार्रवाई की गई और निष्कर्ष पर पहुंचा गया। वहीं महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार के पतन के संदर्भ में न्यायालय का निर्णय एक वर्ष बाद आया था। इतनी देर से मिले निर्णय का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
अभी तक भारत में चुनाव आयोग के प्रयासों से चुनावों की अखंडता बनाए रखी गई है। न्यायालय के त्वरित और निष्पक्ष निर्णय से यह और भी मजबूत हो जाती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 फरवरी, 2024
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