भारत की अफ्रीका से साझेदारी की नई पहल पर कुछ बिंदु

Afeias
11 Apr 2023
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में भारत-अफ्रीका की दस दिवसीय फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज संपन्न हुई है। यह अफ्रीका के साथ रक्षा क्षेत्र में भारत का पहला ऐसा अभ्यास है। इसके साथ ही मध्यम और लघु उद्योगों को सहयोग देने के लिए अफ्रीकी संघ के साथ एक समझौता किया गया है।

  • यूं तो अफ्रीका में चीन का प्रभाव काफी बढ़ चुका है, लेकिन इस प्रकार के कार्यक्रमों से अफ्रीका को भारत के रूप में एक विकल्प मिल सकता है।
  • इस पूरी नई पहल में भारत को यह स्पष्ट करने का प्रयास करते रहना चाहिए कि चीन की तरह उसका इरादा अफ्रीका पर प्रभुत्व जमाने का नहीं है, बल्कि साझेदारी का है।
  • भारत और अफ्रीका की औपनिवेशिक दासतां एक सी रही है। कई भारतीय समुदाय अफ्रीका के स्थानीय समाज और अर्थ व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा हैं। दोनों की विकास चुनौतियां एक सी हैं। इस आधार पर भारत अफ्रीका के देशों से करीबी संबंध बना सकता है।
  • भूराजनैतिक कठिनाइयों, प्रतिस्पर्धाओं और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों में भी दोनों क्षेत्रों में समानताएं हैं। अतः अफ्रीका के लिए भारत एक आदर्श साझेदार हो सकता है।
  • अफ्रीका को रक्षा सामग्री की बहुत जरूरत है। इस क्षेत्र में भारत ने काफी आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। वह अफ्रीका को रक्षा उपकरण सप्लाई कर सकता है।
  • भारत का अफ्रीका से जुड़ाव सिर्फ बाजार के बारे में नहीं है, बल्कि क्षमता निर्माण के बारे में है। रक्षा से परे, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से भारत सौर परिनियोजन (डिप्लॉयमेन्ट) के लिए अफ्रीका में संसाधन और क्षमता निर्माण कर रहा है।
  • भारतीय कंपनियां उत्तरी अफ्रीका में हाइड्रोजन क्षमता विकसित कर रही हैं।
  • दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर भारत पूरे अफ्रीका के लिए कोविड टीके उपलब्ध करा रहा है।

अभी तक अफ्रीका में भारत के प्रयास कम रहे हैं। लेकिन विकास और प्रगति की इस साझेदारी से संबंधों के बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 मार्च, 2023

Subscribe Our Newsletter