शिशु मृत्यु दर में लैंगिक अंतर से जुड़े कुछ तथ्य
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- भारत ने शिशु मृत्यु दर को कम करने की ओर एक कदम आगे बढ़ा लिया है। देश में शिशु मृत्यु दर यानि एक वर्ष की उम्र तक पहुंचने के पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाने वाले शिशुओं की संख्या प्रति 1000 पर 28 रह गई है।
- धारणीय विकास लक्ष्यों में भारत 2030 तक प्रति 1000 पर शिशु मृत्यु दर को 25 या कम पर ले जाने को प्रतिबद्ध है।
- इतना ही नहीं यह डेटा समाज में कन्या शिशु के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का भी संकेत करता है। जीवित रहने वाले शिशुओं में कन्याओं की संख्या ज्यादा पाई जा रही है।
- सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के चलते कन्याओं के प्रति समाज की परंपरागत सोच में परिवर्तन आ सका है।
- देश के विभिन्न राज्यों में लैंगिक अंतर की दर अलग-अलग है। आठ राज्यों में कन्या शिशु मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है, जबकि पाँच राज्यों में यह समान है। कुल मिलाकर 15 राज्यों में लैंगिक अंतर कम हुआ है। इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य बहुत पीछे चल रहा है।
केरल और हिमाचल प्रदेश में भी लड़का-शिशु मृत्यु दर अधिक है। इस प्रवृत्ति के अध्ययन और विश्लेषण से बारीकियों को समझा जा सकता है।
इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा में सुधार, गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच, उनको सहायता सुनिश्चित करने, पोषक आहार और नवजात की देखभाल में सुधार से शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही कन्याओं के प्रति दृष्टिकोण बदलने में सरकारी जुड़ाव भी बहुत महत्वपूर्ण है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 5 अक्टूबर, 2022
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