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भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी विफल नहीं हैं
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हाल ही में हमने भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की विफलता से संबंधित एक लेख प्रकाशित किया था, जो इस सेवा के आत्म-सुधार के साथ-साथ रचनात्मक आलोचना और आत्मनिरीक्षण दोनों की जरूरत को रेखांकित करता है। दूसरी ओर देखें, तो यह आलोचना, वर्तमान सेवा अधिकारियों और कई उत्साही उम्मीदवारों को एक गलत संदेश भी भेजती है।
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि इस सेवा ने सदैव ही राजनीतिक कार्यपालिका की प्रधानता के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया है। इसलिए इस सेवा की कर्तव्यपरायणता के कुछ सबूतों को भी देखा जाना चाहिए –
- 2017 में आईएएस की प्रभावशीलता पर किए गए विस्तृत अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया था कि यह सेवा कई चुनौतियों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक शासन को बनाए रखने में उत्कृष्ट रूप से प्रभावी रही है।
- 2006-07 में विश्व बैंक ने सुधारों और सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के मामले में अध्ययन प्रकाशित किए था। इसमें कहा गया था कि सुधारों के लगभग हर एक मामले में एक सक्षम आईएएस अधिकारी शामिल होता है। साथ ही यह निष्कर्ष भी निकाला गया है कि राजनेताओं द्वारा सशक्त किए जाने पर यह सेवाएं एक अच्छे साधन में परिवर्तित हो सकती हैं।
- 1997 की विश्व विकास रिपोर्ट ने कहा था कि आईएएस की ताकत “कौशल और प्रतिभा के असाधारण कुंड, अनुभव-क्षेत्र, सरकारी कामकाज की गूढ समझ और विकास में सेवा-प्रदान करने के तंत्र की उसकी समझ में है।’’
अतः हमारे विकासात्मक प्रयासों का नेतृत्व करने और सरदार पटेल द्वारा कल्पित भूमिका के निर्वहन के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा आज भी अच्छी स्थिति में कही जा सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित दीपक गुप्ता के लेख पर आधारित। 7 अप्रैल, 2022