आखिर क्या कहना चाहती हैं ये कहानियां
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शुरुआत करते हैं तीन लोगों के संक्षिप्त विवरण से –
- तमिलनाडु के इरोड जिले के एक छोटे से गाँव की सी. वनमति, जिसने अपनी जिन्दगी की शुरुआत भैंस चराने से की। पिता कार ड्रायवर थे।
- अंसार अहमद शेख। इनके अब्बा कभी ऑटो चलाते थे, तो कभी वेल्डिंग का काम करते थे।
- दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी में पली-बढ़ी उम्मुल खेर, जिसके पिता फूटपाथ पर कुछ-कुछ बेचकर घर का पेट पालते थे, और उम्मुल इसमें अपने अब्बा की मदद करती थी।
अब हम उन तत्वों की तलाश करते हैं, जो इन तीनों में एक से हैं।
- जाहिर है कि इन सबकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, ठच्स्से शायद थोड़ा ही ऊपर।
- इन लोगों की आरम्भिक पढ़ाई-लिखाई टपरे और टाटपट्टी वाले सरकारी स्कूलों में हुई होगी।
- इनके माता-पिता यदि एकदम अशिक्षित नहीं होंगे, तो ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं। काम चलाऊ अक्षर ज्ञान से अधिक नहीं।
- इनके घर और इनके समाज का परिवेश कैसा रहा होगा, इसका अनुमान आप खुद लगायें।
- इन तीनों को अंग्रेजी कितनी आती होगी, इसका अंदाजा भी आप ही लगा लें। आपकी मदद के लिए यहाँ मैं आपको यह सूत्र जरुर पकड़वाना चाहूंगा कि कॉलेज की इनकी पढ़ाई सेंट स्टीफन जैसे नामी-गिरामी संस्थानों में नहीं हुई थी।
- इन तीनों में किसी के डॉक्टर, इंजीनियर, सी ए या आई.आइ.एम से एम बी ए होने का तो सवाल ही नहीं उठता।
बस इतना ही। निश्चित तौर पर अब आप थोड़ा उब रहे होंगे। और यदि मुझ पर थोड़ा खीझ भी रहे हों, तो आपकी खीझ मेरे सिर-माथे पर। लेकिन आपको इनकी इन समानताओं को न केवल बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए, बल्कि यदि आप इस लिस्ट को लम्बा कर सकें, तो वह भी करना चाहिए। ऐसा करके आप अपने लिए इस लेख के महत्व को बढ़ा सकेंगे।
अब मैं इन तीनों के बीच की उस समानता को बताना चाहूंगा, जिसके कारण मैंने इन तीनों को चुना है। वह समानता यह है कि –
इन तीनों ने IAS (सिविल सर्विस) की परीक्षा में सफलतायें हासिल की हैं। इनमें से शुरू के दो को IAS मिली, जबकि उन्मुल को रेवेन्यू सर्विस। भारत के अब तक के सबसे कम उम्र का आईएएस बनकर अंसार शेख ने तो एक ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसे तोड़ पाना किसी के लिए भी तब तक संभव नहीं होगा, जब तक कि UPSC इसके लिए न्यूनतम आयु को घटा न दे। फिलहाल इसकी संभावना है नहीं। शाबाश शेख।
इन तीनों को सलाम। साथ ही इन जैसे हौंसले वाले उन युवाओं को भी सलाम; जिनके नाम UPSC की लिस्ट में तो होते हैं, लेकिन लोगों के सामने आ नहीं पाते। यहाँ मैं बताना चाहूंगा कि ऐसे बहुत होते हैं, और हर साल होते हैं। ये तीनों नाम भी तीन अलग-अलग सालों के हैं।
– डॉ॰ विजय अग्रवाल (आप पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं afeias.com के संस्थापक हैं।)