प्री के पेपर ऐसे हल करें
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याद रखें कि प्रारम्भिक परीक्षा में जहाँ समान अंक पाने वाले परीक्षार्थियों की संख्या सैकड़ों में होती है, वहाँ आपके लिए 0.01 अंक भी आपकी सफलता एवं असफलता का कारण बन सकता है। और आपका यह स्कोर केवल आपकी तैयारी पर निर्भर न करके इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप पेपर को हल करने के कितने सही तरीके का इस्तेमाल करते हैं।
यहाँ मैं आपसे इसी विषय पर कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें साझा करने जा रहा हूँ।
- जैसे ही आपको पेपर मिलता है; आपको चाहिए कि पेपर मिलते ही आप पूरे धैर्य एवं संतुलन के साथ उसे साल्व करना शुरू कर दें। यदि शुरू के कुछ प्रश्न नहीं भी बन रहे होंए तो निरूत्साहित बिल्कुल भी न हों। आपके लिए 55% का स्कोर पर्याप्त होगा।
- पेपर आपको मुख्यतः तीन चरणों में हल करना चाहिए। पहले चरण में आप उन प्रश्नों को हल करें, जिनके उत्तर आपको सीधे.सीधे मालूम हैं। या फिर विकल्पों को पढ़ने के बाद आप सही उत्तर तक पहुँच जा रहे हैं। आप जिन प्रश्नों को हल कर रहे हैंए उसके प्रश्न नम्बर के पास पेंसिल से एक हल्का सा एक ऐसा निशान लगा देंए जिसे देखते ही आप समझ जायें कि “मैंने इसे हल कर लिया है।” यह द्वितीय चरण में आपके लिए सहायक होगा।
- द्वितीय चरण में आपको उन प्रश्नों को हल करना है, जिनके दो विकल्पों को लेकर आप कन्फ्यूज्ड हैं। ऐसे प्रश्नों को समय देकर इन पर गंभीरतापूर्वक विचार कीजिये, क्योंकि यहां सही उत्तर तक पहुँचने की संभावना सबसे अधिक है। याद रखें कि यदि इन दो विकल्पों में से आप सही तक नहीं पहुँच पा रहे हैं, तब भी आपको अपने हिसाब से सर्वाधिक संभावित उत्तर पर निशान लगाना ही है। ऐसे प्रश्नों को छोड़ना नहीं है। ऐसे प्रश्नों की संख्या पर भी पेंसिल से हल्का निशान लगा दें।
- तीसरे और अंतिम चरण का संबंध उन प्रश्नों से है, जिनके तीन या चार विकल्पों में आपको भ्रम है। चूंकि समय का दबाव भी अपना काम कर रहा होता है, इसलिए अब आप सही विकल्प की तलाश करना बंद कर दें। बचे हुए समय में आपको केवल यही कोशिश करनी चाहिए कि “मैं कैसे दिये गये विकल्पों की संख्या को कम करके दो कर दूं। यानी कि इस चरण में आपको करना यह है कि ‘यह-यह उत्तर नहीं हो सकते। ऐसा करते हुए जब आपके पास केवल दो विकल्प बच जाएए तो आप उनमें से किसी भी एक परए जिसके लिए आपका दिल गवाही दे रहा हो’ निशान लगा दें। यहाँ तक आप सुरक्षित रहेंगे।
- यदि तीन विकल्पों में भ्रम बना रहता हैए तो बेहतर होगा कि उन्हें छोड़ दें। ‘संभाव्यता के सिद्धांत’ के अनुसार यदि आप चार ऐसे प्रश्न हल करते हैं, तो उसमें से एक के सही होने की उम्मीद रहेगी। इस प्रकार इस सही उत्तर के लिए जो माक्र्स मिलेंगेए वे गलत उत्तरों की निगेटिव मार्किंग से कटकर बराबर हो जायेंगे। लेकिन मैंने अपने प्रयोगों में पाया है कि ऐसा करने से अंततः नुकसान ही होता है।
- अंत में यह है कि जो प्रश्न किसी भी कारण से समझ में नहीं आ रहे होंए या बहुत जटिल लग रहे होंए उनमें बिल्कुल भी न उलझें। उन्हें छोड़कर आगे बढ़ जायें तथा उन पर पेंसिल से निशान भी लगा दें, ताकि उन्हें दुबारा पढ़ना न पड़े।
– डाॅ॰ विजय अग्रवाल
(आप पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं afeias.com के संस्थापक हैं।)
Note: This article of Dr. Vijay Agrawal was published in “Jagran Josh” dated 22-May-2019.
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