प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से भारत को क्या मिलेगा?

Afeias
19 Jul 2016
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Date: 19-07-16

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सन् 2015 में भारतीय सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए अपने 15 क्षेत्रों को खोल दिया था।

अब अन्य नौ क्षेत्रों में भी विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई है।

बड़े स्तर पर भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के पीछे सरकार की मंशा यही रही है कि इससे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी और कौशल का विकास होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी। पोर्टफोलियों निवेश से भिन्न प्रत्यक्ष निवेश का एक लाभ सरकार को यह भी लगा कि इससे निवेश करने वाली कंपनियां उस उद्योग में विशेष रुचि लेंगी।

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े कुछ तथ्य:

  • भारतीय सांख्यिकी आँकड़ों के अनुसार 2015-16 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तेजी से बढ़कर 55 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो गया है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में मेजबान देश को दो तरह से समझौता करना पड़ता है।
  • रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया बताता है कि सन् 2009-10 और 2014-15 में प्रत्यावर्तन, डिवीडेन्ट एवं तकनीकों के भुगतान के रूप में इक्विटी इनफ्लो का लगभग आधा भाग विदेशों में चला गया।
  • आर बी आई के अनुसार इसी अवधि में भारत में निवेश कर रही विदेशी कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी के कारण लगभग सभी विनिमय क्षेत्रों में नकारात्मक टेªड बैलेंस देखने को मिला।
  • यदि विदेशी कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी एवं अन्य भुगतान का हिसाब लगाया जाए, तो यह उनके द्वारा किए गए निवेश से कहीं अधिक बैठता है।
  • बाइलेटरल इंवेस्टमेन्ट प्रमोशन एण्ड प्रोटेक्शन एग्रीमेन्टस् ¼BIPA½ की आड़ में विदेशी कंपनियां प्रत्यक्ष लागत पर छूट लेने के साथ ही मेजबान देश से अप्रत्यक्ष लाभ भी लेती हैं।
  • भारत में भी विदेशी निवेशक इन्वेस्टर स्टेट डिस्प्यूट सेटलमेंट में जाकर अपने विवादों को प्राइवेट इंटरनेशनल आर्बीट्रेशन पैनल के पास ले जाने में सफल रहे हैं।
  • ज्यादातर मामलों में विदेशी निवेशक सरकार के करों के बोझ पर विवाद उठाते हैं।
  • सरकार ने बी आई पी ए (BIPA) में सुधार किया है, जिससे इन्वेस्टर स्टेट डिस्प्यूट सेटलमेंट में जाने से बचा जा सके।
  • सरकार ने बी आई पी ए के नए मॉडल में करों के भुगतान के प्रति कड़ाई का रूख अपनाया है।

फिलहाल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर रही कंपनियों और भविष्य में उनके रुख पर नजर ही रखी जा सकती है।

 

‘‘द हिंदू’’ में श्री विश्वजीत धर एवं  के. एस. चलपति राव के लेख पर आधारित