दो मामलों में सरकारी प्रयास बढ़ाने की जरूरत
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- चक्रवातों के दंश को और भी कम किया जा सकता है। –

पिछले कुछ वर्षों में चक्रवातों से निपटने में केंद्र और राज्य सरकारों की तैयारियों में बहुत सुधार हुआ है। कई तटीय राज्यों में चक्रवात के प्रभाव को कम करने के लिए संरचनात्मक (स्ट्रक्चरल) और इससे अलग भी कई ऐसे उपाय किए गए हैं, जिससे नुकसान का प्रतिशत बहुत कम हो गया है। मरने वालों की संख्या में भी बहुत कमी आई है। हालाँकि, अभी भी सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान हो रहा है। मवेशियों और मुर्गियों के प्रभावित होने से आजीविका पर आंच आ रही है।
इस मामले में ओडिशा और आंध्रप्रदेश की सरकारों को राहत और पुनर्वास कार्य के दौरान मिले अनुभवों को व्यवहार में लाने की जरूरत है। राजनीतिक नेतृत्व को भी यथासंभव प्रयास करने चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 अक्टूबर, 2025
- क्या सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने पर जुर्माना लगाना चाहिए?-

भारत में गंदगी और कूड़ा फैलाने वाले लोग बहुत हैं। एक प्रकार से यह देश की लोकप्रिय गतिविधि है। गांधीजी गंदगी से जुड़ी जागरूकता फैलाने का अथक प्रयास करते-करते चले गए। उनके कदमों पर चलते हुए मोदी सरकार ने भी स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की। लेकिन वह स्वच्छ भारत कहाँ है?
भारतीयों को कूड़ा फेंकने का इतना शौक क्यों है? क्या इसका कारण दंडात्मक कार्यवाही की कमी है? श्रीलंका जैसा छोटा और साधनहीन देश इतना साफ-सुथरा रह सकता है, तो हम क्यों नहीं? क्योंकि सड़क जैसी सार्वजनिक संपत्तियों के कूडे को साफ रखना हमें अपना काम नहीं लगता। इसे हम किसी दूसरे का काम समझते हैं। इस मानसिकता को बदलने के लिए कूड़ा और गंदगी फैलाने या थूकने वालों पर जुर्माने की शुरूआत कर देनी चाहिए। इसमें दो राय नहीं कि हम सब साफ-सुथरी जगह में रहना चाहते हैं। तो क्यों न इसकी शुरूआत की जाए?
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 अक्टूबर, 2025