वस्तु एवं सेवा कर में सुधार की आगे की राह
To Download Click Here.

वस्तु एवं सेवा कर में सुधार का निर्णय 2017 के बाद से तीसरा निर्णय है।
जीएसटी में पहला व दूसरा बदलाव –
नवंबर 2017 में 94 वस्तुओं की दरें बदली गई थी। फिर दिसंबर 2018 में 17 तरह की वस्तुओं की दरें बदली गई।
ये दोनों सुधार जीएसटी लागु करने के कुछ ही समय बाद किए गए थे। तब कर संग्रह वांछित स्तर पर भी नहीं पहुंचा था। इन दोनों सुधारों ने कर संग्रह पर विपरीत प्रभाव भी डाला था। वे बदलाव एक ही दिशा में थे, क्योंकि उसमे टैक्स स्लैब नहीं बदली गई थी।
जीएसटी में किया गया तीसरा महत्वपूर्ण बदलाव –
इस बदलाव के तहत 450 से अधिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दर बदल जाएगी। यह बदलाव जीएसटी-पूर्व के दिनों में बजट से भी अधिक महत्वपूर्ण है। इसमें 420 से अधिक वस्तुओं; जैसे खाद्य, तंबाकु, कृषि, उवर्रक, कपड़ा, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स आदि की दरें प्रभावित होगी। इसके अलावा 34 सेवाएँ; जैसे – परिवहन, बीमा आदि की दरें भी बदलेंगी।
- यद्यपि इस समय विशुद्ध जीएसटी संग्रह जीएसटी से पूर्व के वर्षों से कम ही था। पर यह संग्रह स्थिर हो गया था।
- इन बदलावों में जीएसटी दरों को सिर्फ कम ही नहीं किया गया है, बल्कि वृद्धि भी की गई है।
- एक दर्जन से अधिक वस्तुओं को छोड़कर लगभग सभी वस्तुओं को 5 और 18 प्रतिशत की टैक्स स्लैब में शामिल कर लिया गया। ऐसा करने के लिए 380 वस्तुओं और 24 सेवाओं की दरों में कमी की गई तथा 40 वस्तुओं व 10 सेवाओं की दर बढ़ाई जानी है।
- दरों में कटौती के कारण राजस्व पर 93000 करोड़ का असर पड़ने का अनुमान है। पर दरों में वृद्धि के कारण यह प्रभाव 45000 करोड़ रुपये कम का होगा।
- दरों में कटौती से राजस्व को होने वाली क्षति को अनुपालन में सुधार से कम किया जा सकेगा।
- मानव निर्मित वस्त्रों और उर्वरकों जैसे कई क्षेत्रों में उल्टी शुल्क संरचना को बेहतर तरीके से संबोधित किया गया है। इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावों को भी सरल बनाया गया है।
- करदाताओं की शिकायतों के समाधान के लिए देशभर में अपीलीय निकायों की स्थापना की गई है।