नेपाल का लोकतंत्र खतरे में
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हाल ही में नेपाल में सरकार के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। जेन जेड का यह विरोध मूलतः नेपाल की पुरानी राजनीतिक शिथिलता से उपजी निराशा का परिणाम है। यह हिंसक शून्यवाद को उजागर करता है। इससे नेपाल की कड़ी मेहनत से मिली लोकतांत्रिक उपलब्धियों के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया है।
पृष्ठभूमि –
2005 में नेपाल की निरंकुश राजशाही को उखाड़ फेंका गया था। ‘नया नेपाल‘ बनाने का वादा करते हुए राजनीतिक दलों ने देश की बागडोर संभाली। 1990 के दशक से नेपाल में 30 कार्यकालों में 13 शासनाध्यक्षों का चक्र चला है। इस दौरान मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी जनादेशों की तुलना में अनैतिक गठबंधनों को प्राथमिकता दी है। 2000 के दशक के जन आंदोलन के बाद भी देश में विकास की बहुत कमी रही है।
वर्तमान स्थिति –
- अपने देश की क्षमता को बर्बाद होते हुए देखकर बड़ी हुई एक पूरी पीढ़ी से उपजे मोहभंग ने नई राजनीतिक ताकतों को जन्म दिया है। लेकिन इनके कदम भी लोकतांत्रिक अपरिपक्वता वाले लग रहे हैं।
- नेपाल के लिए यह एक चेतावनी है। यहाँ सरकार और नागरिक समाज को संस्थाओं के विनाश को लोकतांत्रिक नवीनीकरण समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। यह संकट स्थिरता और दीर्घकालिक संवैधानिक सुधार की मांग करता है, जो संविधान सभा की प्रक्रिया से पहले किए गए वादों को पूरा करें।
नेपाल में तत्काल शांति की जरूरत है। उसके बिना संवैधानिक सुधार का कोई मतलब नहीं है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 सितंबर, 2025