अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता में क्या करे भारत
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सन् 1933 में लिखे एक निबंध में ब्रिटिश अर्थशास्त्री कीन्स ने कहा था कि आत्मनिर्भरता उन देशों के लिए एक सार्थक विलासिता हो सकती है, जो इसे चाहते हैं, और इसे वहन कर सकते हैं। वास्तव में, ऐसा जीवन बहुत सीमित होता है। यही कारण है कि सभी महान राष्ट्रों ने मुक्त व्यापार का प्रयास किया है। फिलहाल अमेरिकी संरक्षणवादी रवैये ने वैश्विक व्यवस्था को प्रभावित कर रखा है।
इस पर कुछ बिंदु –
- जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बाजार, विक्रेताओं के लिए बाधाएं खड़ी करते हैं, तो संपूर्ण मुक्त व्यापार ढांचा खतरे में पड़ जाता है।
- श्री मोदी जी ने अमेरिकी करों की अनिश्चितता के चलते भारतीयों से स्वदेशी खरीदने का आग्रह किया है।
- ऐसे परिवेश में भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। भारत को कहाँ सुधार करना है –
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- सेमीकंडक्टर और लड़ाकू विमानों का निर्माण।
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- ड्रोन क्षेत्र।
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- नागरिक उपयोग की बहुत सी उच्च तकनीकी वस्तुएं।
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- विशिष्ट चिकित्सा उपकरण।
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- उन्नत उपकरणों के निर्माण के लिए एक औद्योगिक आधार स्थापित करना, एवं
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- उन्हें विकसित करने के लिए अनुसंधान केंद्रों को प्राथमिकता देना।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 4 अगस्त 2025