शहरी विकास की बदलनी होगी रणनीति
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शहरी अर्थव्यवस्थाओं में सामूहिकता बहुत महत्वपूर्ण होती है। जब कंपनिया, कर्मचारी और योजनाकार सब एक जगह होते हैं, तो वे साझा बुनियादी ढाँचे, संयुक्त श्रम और नवाचार का लाभ उठाते हैं। अल्फ्रेड मार्शल से लेकर एडवर्ड ग्लेसर तक अनेक अर्थशात्रियों में ऐसे सुविधा केंद्रों को उत्पादकता एवं विकास का इंजन बताया है। भारत में भी एकीकृत शहरों पर जोर दिया जा रहा है।
बेंगलूरु में तकनीकि कंपनियों ने मुंबई में वित्त, मीडिया व महत्वाकांक्षाओं तथा दिल्ली ने राजनीति व अफसरशाही के साथ रहन-सहन का एक अनूठा गुलदस्ता बनाया है। लेकिन अब बेंगलूरु का यातायात के दबाव से मुंबई का आवासीय संकट से तथा दिल्ली का प्रदूषण से दम घुट रहा है।
देश के सकल घरेलू उत्पाद में शहरों का योगदान 60% है, जो 2030 तक 70% तक हो सकता है। महानगरों में पूँजी निवेश खूब होता है और श्रम बल भी खूब आता है। सरकार भी स्मार्ट सिटी, स्वच्छ ऊर्जा और हाई-स्पीड रेल जैसी सुविधाओं के साथ इन शहरों की गतिशीलता बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
शहरों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं –
- कर्नाटक में इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकानॉमिक चेंज का अनुमान है कि यातायात में ट्रैफिक जाम के कारण उत्पादकता घटती है, जिससे प्रतिवर्ष 1170 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। मेट्रो भी अभी यहाँ के उभरते उपनगरों को कवर नहीं कर पाई है।
- देश में रहने योग्य सबसे अच्छे एक शहर पुणे ने पिछले एक दशक में हरियाली का एक-तिहाई हिस्सा खो दिया है।
- भुवनेश्वर व नागपुर बढ़ती गर्मी से परेशान हैं। इसके कारण इन दोनों शहरों में उत्पादकता 10 से 13% तक कम हो गई है।
- 2024 में नगर निकायों पर किए गए शोध से पता चलता है कि एकीकृत विकास के लिए शहरों में कितनी कम या खराब सुविधाएं हैं। इस अध्ययन में 152 में से 94 नगर पालिकाओं के पास अपनी विकास योजनाओं का डाटा मिला। इनमें सिर्फ 59 ने ही डेटा को भौगोलिक सूचना प्रणाली के आधार पर अपडेट किया था। 113 नगर पालिकाओं के पास ही योग्यता प्राप्त योजनाकार हैं।
- एशियाई विकास बैंक के निष्कर्षों के अनुसार जनसंख्या और उसके घनत्व के हिसाब से वेतन में लचीलापन भारतीय शहरों में 1-2% ही है, जबकि विकसित देशों के शहरों में 4 से 6% है। यह शहरी अवसंरचना, समन्वित एवं भविष्योन्मुखी रणनीतिक योजनाओं के गंभीर अभाव को भी दर्शाता है।
भविष्योन्मुखी शहरी योजना के लिए सुझाव –
- शहरों को मजबूत डेटा प्रणाली विकसित करनी चाहिए, जो आमजन को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से तत्काल निर्णय लेने में मददगार सिद्ध हो।
- नियोजन प्रक्रियाओं को लचीला होना चाहिए। जिससे जनसांख्यिकीय बदलावों, जलवायु जोखिमों और आर्थिक स्थिति परिवर्तन का पूर्वानुमान आसानी से लग सके।
- विखंडित प्रशासन न हो। आवास, परिवहन, पर्यावरण आदि विभाग साथ मिलकर काम करें।
- श्रम की गतिशीलता को बल मिले और आर्थिक समावेशन बढ़े।
- शहर में सुविधाजनक परिवहन, सार्थक रूप से नौकरियों, सेवाओं और नवाचार नेटवर्क भी बढे।
- सिंगापुर के मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम से प्रतिदिन 30 लाख से अधिक लोग आवाजाही करते हैं। इससे लोगों की उत्पादकता बढ़ती है।
- वियतनाम के मिन्ह शहर में केंद्रित औद्योगिक क्षेत्र और रणनीतिक ढाँचागत निवेश के कारण श्रम उत्पादकता हनोई शहर की तुलना में लगभग दोगुनी है।
भारतीय शहर पलायन के दौर से गुजर रहे है, क्योंकि वे बुनियादी जरूरतों से जुड़े वायदे भी पूरे नहीं कर पाए है। हमारे शहर आर्थिक अवसरों को भी समन्वित रूप से भुना नहीं पा रहे हैं।