बेरोजगारी के समाधान

Afeias
28 Dec 2024
A+ A-

To Download Click Here.

1) मनरेगा का शहरी संस्करण लाइए – 100 दिन रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा स्कीम में 13 करोड़ सक्रिय वर्कर हैं, जो कुल रोजगार का 29% है। इसमें 221 रु. से 357 रु. तक दिहाड़ी दी जाती है, जो राज्यों के हिसाब से अलग-अलग है। इसे शहरों में लागू किया जाए।

2) राष्ट्रीय रोजगार नीति लागू कीजिए – 2021 में इस पर काम शुरू हुआ, पर यह अभी तक लागू नहीं हो पाई है। देश की पहली राष्ट्रीय रोजगार नीति के दोहरे उद्देश्य हैं – नए उद्यमों की स्थापना के लिए माहौल बनाना, ताकि नए रोजगार पैदा हों। साथ ही मौजूदा कर्मियों का कौशल बढ़ाना।

3) स्कूली शिक्षा का सिलेबस बदलिए – मौजूदा शिक्षा प्रणाली रोजगारपरक नहीं है यानी यह रोजगार के काबिल नहीं बना रही। व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर देने की जरूरत है, ताकि कामकाजी लोगों में कौशल व रोजगार की क्षमता बढ़े। प्रोफेशनल ट्रेनिंग देनी चाहिए।

4) गांवों में रोजगार के मौके बढ़ाइए – आर्थिक सर्वे के अनुसार, देश की 65% आबादी गांवों में रहती है। 45% कामकाजी आबादी कृषि से जुड़े काम करती है। खेती से जुड़ी मॉडर्न तकनीकों से उत्पादकता बढ़ाएं। कृषि उद्योगों का विकास करें। छोटे किसानों को आसान कर्ज दें।

5) असंगठित क्षेत्र पर फोकस करिए – देश में 93% लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। इसमें बिना किसी लिखित अनुबंध व सवेतन छुट्टी वाले कामगार शामिल हैं। अर्थव्यवस्था का 92.4% हिस्सा इसी से आता है। यहां सुविधाएं और अधिकार बढ़ाकर नई नौकरियां पैदा करें।

6) गिग इकोनॉमी को बेहतर बनाइए – अभी सिर्फ राजस्थान और कर्नाटक ने ही इसकी पहल की है। इसके लिए देशव्यापी नीति बनाने की जरूरत है, ताकि गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा मिले। कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाएं, ताकि मनमानी रुके। टैक्स छूट दें, ताकि जॉब और बढ़ें।

7) महिला कर्मियों का हिस्सा बढ़ाएं – वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 15 साल से अधिक उम्र की 68% महिलाएं किसी न किसी प्रकार के वेतन पर काम कर रही हैं। चीन में यह दर 63%, थाईलैंड में 59% व इंडोनेशिया में 53% है, जबकि भारत में यह 33% ही है।

8) रिक्त पड़े सरकारी पदों को भरिए – केंद्र का दावा है कि 2014 से 2023 के बीच 9 लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं। मगर एक सच यह भी है कि सरकारी विभागों में 9.64 लाख पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जुलाई 2023 में यह जानकारी दी थी।

9) एक देश-एक परीक्षा पर आगे बढ़ें – देश में कॉमन टेस्ट के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) बनाई गई थी। मगर, 4 साल में 58 करोड़ रु. खर्च करने के बाद भी यह कोई परीक्षा नहीं करा सकी। इसे दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि अभ्यर्थियों का समय और पैसा बच सके।

10) स्किल गैप जल्द खत्म कीजिए – देश के 75% से अधिक स्नातक बेरोजगार हैं, क्योंकि उनके पास कौशल की कमी है। स्किल गैप को ऐसे समझें, कि देश में कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़ने वाले छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन नौकरियों के मौके आईटी क्षेत्र में सबसे ज्यादा।

11) बेरोजगार को भत्ता नहीं, काम दें – छत्तीसगढ़ में शिक्षित बेरोजगारों को 2500 रु. महीना बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। यूपी में यह हजार रु. महीना है। राजस्थान, पंजाब व सिक्किम में भी 1500 से 3500 रु. तक बेरोजगारी भत्ता  दिया जाता है। जरूरी है कि इन्हें काम मिले।

12) सरकारी-निजी भागीदारी बढ़ाएं – बेरोजगारी से निपटने में सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग अहम है। निवेशकों के अनुकूल नीतियां, टैक्स प्रोत्साहन और रोजगार बढ़ाने वाले कदमों से इस दिशा में और सुधार होगा। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में ढील से भी नए रास्ते खुलेंगे।

13) नए उद्योगों का विकास कीजिए – देश में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में 11 करोड़ नौकरियां पैदा हो रही हैं। दुनिया में 90% कारोबार इन्हीं के दम पर होता है। रोजगार में इनकी हिस्सेदारी 60-70% होती है। इन्हें प्रोत्साहन और संसाधन देना बहुत जरूरी है।

14) स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन दें – सरकार स्टार्टअप के लिए इनक्यूबेशन सेंटरों की संख्या और बढ़ा सकती है। इसमें स्टार्टअप के लिए टेक्निकल सपोर्ट, लीगल डॉक्यूमेंटेशन सपोर्ट, नेटवर्क, बिजनेस कनेक्शन, वर्किंग स्पेस और शुरूआती पूंजी उपलब्ध कराई जाती है।

15) जनसंख्या बढ़ोतरी पर काबू करें – जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है, वैसे ही लेबर फोर्स का आकार बढ़ता है। मांग कम और आपूर्ति ज्यादा होने से बड़ी आबादी बेरोजगार हो जाती है। देश की 42% कामकाजी उम्र वाली आबादी उन 58% लोगों पर निर्भर है, जो काम करते हैं।

*****