प्रकाशित शोध-पत्रों तक पहुंच अब आसान हुई
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देश में शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित पत्रों तक पहुँचने के लिए आम जनता को एक भारी शुल्क देना पड़ता है। इस मॉडल मेंए शोध पत्रिकाएं बुद्धिजीवी वर्ग या विद्धानों द्वारा प्रस्तुत पत्रों को प्रकाशित करती है, और उन्हें पढ़ने के इच्छुक लोगों से शुल्क लेती हैं। इस व्यवस्था में कुछ परिवर्तन किए गए हैं।
कुछ बिंदु –
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन नेशन’ ‘वन सब्सक्रिप्शन’ योजना शुरू की है, जिसमें किसी प्रकाशित पत्र या जर्नल के लिए एक बार फीस दी जाएगी। इससे पहले अलग.अलग लाइब्रेरियन संघों को इसकी अलग-अलग फीस देनी पड़ती थी।
- इस योजना के बाद अब उन सरकारी संस्थानों में भी महंगी पत्रिकाएं उपलब्ध हो सकेंगी, जिनके पास पर्याप्त निधि नहीं होती है।
- इससे उन उभरते हुए वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को बहुत सहायता मिल सकती है, जिन पर शोध खर्च का बोझ पहले ही बहुत होता है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 30 नवंबर, 2024
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