वायु प्रदूषण पर न्यायालय की फटकार
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर और राज्यों की राजधानियों में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की आलोचना की है। न्यायालय ने कहा है कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का अधिकार है।
कानून में संशोधन की जरुरत –
ज्ञातव्य हो कि वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 उद्योगों और अन्य गतिविधियों से वायु प्रदूषकों को विनियमित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देता है। इसका उद्देश्य केवल वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना और कम करना है। इसका संबंध स्वास्थ्य मानक से नहीं है।
जब तक स्वास्थ्य सुरक्षा को प्रदूषण नियंत्रण के मूल में नहीं रखा जाता है, तब तक वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों में तेजी नहीं आ सकती है। अतः वायु अधिनियम में संशोधन के हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी विचारों को इसका केंद्रीय फोकस बनाया जा सके। इसके साथ ही मजबूत नियामक तंत्र बनाया जा सकेगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 अक्टूबर, 2024