गिग वर्कर्स के लिए राष्ट्रीय कानून
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- केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल करने के लिए एक राष्ट्रीय कानून का मसौदा तैयार कर रहा है।
- इसमें स्वास्थ्य बीमा और सेवानिवृत्ति बचत जैसे लाभ दिए जाएंगे।
- इस हेतु सरकार गिग और प्रवासी श्रमिकों की परिभाषाओं में भी संशोधन कर रही है, ताकि उन्हें अधिक समावेशी बनाया जा सके।
- प्रस्तावित कानून एक कल्याण बोर्ड मॉडल स्थापित करेगा। यह गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए एक कोष बनाएगा।
- यह कानून गिग वर्कर्स के पंजीकरण को अनिवार्य करता है।
- एग्रीगेटर्स (नियोक्ता) को किसी कर्मचारी को हटाने से पहले वैध कारण के साथ 14 दिन का नोटिस देने को बाध्य करता है।
- वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए एक समाधान तंत्र भी बनाया जाएगा।
श्रम संहिता में गिग वर्कर्स –
ज्ञातव्य हो कि सरकार ने 2019 और 2020 में चार नई श्रम संहिताएं तैयार की थीं। ये वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यावसायिक सुऱक्षा व स्वस्थ कार्य वातावरण से संबंधित हैं। इनमें एकमात्र सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 ऐसी है, जिसमें गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स का उल्लेख किया गया है।
इस संहिता में उन्हें अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के एक उपसमूह के रूप में माना गया है। अब इन वर्कर्स को श्रम-पोर्टल पर स्वघोषणा के माध्यम से स्वयं को पंजीकृत करना हैए ताकि उन्हें जीवन और दुर्घटना बीमा का पात्र माना जा सके।
परेशानी का मुख्य मुद्दा –
- श्रम मंत्रालय को चाहिए कि वह ‘एग्रीगेटर्स’ की परिभाषा को नियोक्ता के रूप में स्पष्ट करे। साथ ही गिग वर्कर्स और उनके रोजगार संबंधों की व्याख्या करे। जैसे यू. के. ने 2021 में ‘ऊबर’ कंपनी को ‘नियोक्ता’ मानते हुए उसके ड्राइवरों को ‘कर्मचारी’ माना था।
- गिग वर्क में रोजगार संबंधों को स्पष्ट करने से इस क्षेत्र में श्रमिकों औपचारिकीकरण बढ़ेगा, और श्रमिकों की स्थिति सुधरेगी।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित किंशुक सरकार के लेख पर आधारित। 15 अक्टूबर, 2024
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