सीबीआई को स्वतंत्र निकाय बनाने की जरूरत
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोते” की संज्ञा दी है। उनका कहना है कि देश की इस सर्वोच्च जांच एजेंसी को सरकारी प्रभाव से मुक्त होना चाहिए। इस हेतु कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत है –
1) सीबीआई को एक स्वतंत्र पेशेवर निकाय के रूप में अपना अस्तित्व बनाए रखने की आवश्यकता है। भले ही यह कार्यपालिका को रिपोर्ट करती है, लेकिन इसे कानून और न्याय पर स्थायी समिति के माध्यम से संसदीय निगरानी में रखा जाना चाहिए।
2) इसके कर्मचारी स्वतंत्र होने चाहिए। यानि कि कर्मियों की भर्ती स्वतंत्र रूप से की जानी चाहिए।
3) एजेंसी को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग और पीएमओ के बजाय कानून और न्याय मंत्रालय को रिपोर्ट करना चाहिए।
4) अधिकार क्षेत्र की स्पष्टता होनी चाहिए।
5) सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड को कम करने के लिए इसे स्पष्ट जनादेश दिए जाने चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 सितंबर, 2024