शहरों की अस्त-व्यस्त स्थिति

Afeias
10 Jun 2024
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जनाग्रह सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी के 2023 के भारत की शहरी प्रणालियों का वार्षिक सर्वेक्षण “भारत के शहरी एजेंडे को आकार देना” से पता चलता है कि हमारे शहरी प्रशासन शहरों के बढ़ते आकार के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार नहीं है।

अनुमान है कि 2050 तक शहरों की जनसंख्या 80 करोड़ से अधिक हो जाएगी।

39% राज्यों की राजधानियों में सक्रिय मास्टर प्लान और दीर्घकालिक शहरी विकास की कोई तैयारी नहीं है।

इसके अलावा खराब नीति कार्यान्वयन और पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे हैं।

समाधान –

सत्ता का विकेंद्रीकरण, प्रशासन को सुव्यवस्थित करना और स्थानीय सरकार की वित्तीय स्वायत्तता को बढाने से संबंधित सुधारों की आवश्यकता।

नागरिक निकायों को हर प्रकार से सक्षम और सशक्त बनाना, तभी सार्वजनिक सुरक्षा और कल्याण संभव हो सकता है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 16 मई, 2024