राजस्व बटवारे पर राज्यों की शिकायत
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पिछले कुछ महिनों से सभी विपक्ष पार्टी वाली राज्य सरकारें कर राजस्व में अपने घटते हुए प्रतिशत को लेकर काफी नाराज हैं। यहाँ तक कि कुछ राज्यों ने इसके लिए न्यायालय की भी शरण ली है।
राज्यों के मुख्य दो आरोप हैं –
1) सन् 2015-16 में राज्यों की वास्तविक हिस्सेदारी केंद्र के कुल राजस्व का 35% थी। यह वर्ष 2023-24 तक घटकर 30% रह गई है। जबकि इसी काल में केंद्र का राजस्व 14.60 लाख करोड़ रुपये से लगभग ढाई गुना बढ़कर 33.60 लाख करोड हो गया है।
2) नाराजगी का दूसरा एवं तात्कालिक कारण है – केंद्र द्वारा नेट बारोइंग सीलिंग में राज्यों की पीएसयू द्वारा लिये गये ऋण को भी जोड़कर कर्ज की सीमा तय किया जाना।
केंद्र का मानना है कि कई राज्य अपनी पीएसयू के जरिए ऋण ले रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि राज्यों की वित्तीय स्थितियों के बारें में केंद्र हस्तक्षेप कर सकता है, क्योंकि इसका संबंध राष्ट्र से होता है।
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