10-06-2024 (Important News Clippings)
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Date: 10-06-24
नई शुरुआत
संपादकीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एवं गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने भी पस ग्रहण की। भारत जैसे विविधता से भरे लोकतंत्र में दो सफल कार्यकाल के बाद तीर पद पर सोनी इस बार मोदी सरकार चलाने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझेदारों पर निर्भर नई सरकार की बुनियादी प्राथमिकताएं आने वाले दिनों में हमारे सामने होगी. वह चिंता इस बात की भी है कि कहीं गठबंधन सरकार में सुधारों को अंजाम देना मुश्किल न साबित हो। बहरहाल अनुभव तो यही बताते हैं कि बंधन सरकारे न केवल प्रभावी ढंग से काम करती है बल्कि वे दांचागत सुधारों को भी अंजाम देती हैं। भारत को अगर मध्यम अवधि में निरंतर उच्च आर्थिक वृद्धि करनी है तो उसे निरंतर सुधारों को अपनाना होगा। यह बात ध्यान देने लायक है कि बहुप्रतीक्षित कारक बाजार सुधारों को अंजाम देने का काम तो एक पार्टी के बहुमत वाली सरकारों में भी मुश्किल साबित हुआ है।
ऐसे सुधारों पर सहमति बनाने में अवश्य समय लग सकता है लेकिन सरकार ऐसी पहल से शुरुआत कर सकती है जिन पर साझेदारो को आपत्ति होने की संभावना नहीं है। उदाहरण के लिए सरकार को वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की दरों और सब को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया जीएसटी परिषद में शीघ्र शुरू करनी चाहिए। हालांकि हाल के वर्षों में जीएसटी संग्रह में सुधार हुआ है। इसकी वजह अनुपालन में सुधार है किंतु दरों की बहुता के कारण कर व्यवस्था का प्रदर्शन कमजोर रहा है। इससे केंद्र और राज्य ये सारी पर राजकोषीय परिणाम प्रभावित हुए है। एक सामान्य जीएसटी प्रणाली जिसमें सीमित स्लैब हो, वह राजस्व में बेहतरी लाएगी और कारोबारी सुगमता को भी बेहतर बनाएगी। इसके अतिरिक्त भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में कम से कम तीन ऐसे प्रमुख किए जिनपर तत्काल अमल शुरू किया जा सकता है।
इनमें से पहला है देश की की व्यवस्था भारत जैसे तेजी सेहो अर्थव्यवस्था वाले देश में वह अहम है कि आंकड़ों की गुणवत्ता विश्वसनीय हो ऐसे सरकारी और दोनों स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगे। भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। सरकार ने काफी अंतराल के बाद हाल ही में उपभोक्ता सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए हैं लेकिन अर्थशखिका कहना है कि घरेलू उत्पाद और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक श्रृंखला में संशोधन के पहले एक और बार ऐसा करना चाहिए। भारतको उत्पादक मूल्य सूचकांक की भी आवश्यकता है ताकि उत्पादन के बारे में बेहतर जानकारी मिल सके। इसके अलावा रोजगार के क्षेत्र में भी निरंतरता के साथ विश्वसनीय आंकड़े हासिल करना आवश्यक है। चूँकि कुछ संकेतक पुराने आंकड़ों पर आधारित है इसलिए शायद वे मौजूदा हालात को सही ढंग से सामने नहीं रख पा रहे हों | इससे नीतिगत निर्णय की गुणवत्ता प्रभावित होगी और आर्थिक परिणामों पर असर होगा।
दूसरा अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय अभियोग नीति विभिन्न अदालतों में करीब पांच करोड़ मामले लंबित हैं। भारत को अपनी व्याधिक क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है। अदालत में मामलों का निपटारा और देश में रहना दोनों को आसान बनाएगा। तीसरा है पंचायती राज संस्थान में वित्तीय स्वायत्तता सर्वाधिक तथा तेजी से होते देशों में बुनियादी सरकारी सेवाएं स्थानीय निकाय देते हैं। भारत में स्थानीय निकाय ऐसे अनुदान पर आश्रित होते हैं जो अक्सर अपर्याप्त एवं अनियमित होता है। रिजर्व बैंक के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि स्थानीय कर एवं पंचायत के कुल राजस्व में महज 1.1 फीसदी के हिस्सेदार होते हैं। स्थानीय निकायों का तर एकदम होगा। इसके लिए राज्यों के सहयोग की आवश्यकता होगी लेकिन इससे बेहतरी आएगी। कुल मिलाकर अगले पांच सालों में बेहतरी हासिल करने के लिए यह अहम है कि संसद को समुचित ढंग से काम करने दिया जाए। यह सरकार का दायित्व होगा कि वह विपक्ष के साथ सकारात्मक संबंध बनाए तथा बेहतर विधायी परिणाम हासिल करें |
Date: 10-06-24
पर्यटन क्षेत्र में नई संभावनाएं
जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच ने यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक (टीटीडीआइ) 2024 जारी किया है। 119 देशों के इस सूचकांक में भारत 39वें स्थान पर है। इसके पहले 2019 में भारत इस सूचकांक में काफी नीचे, 54वें स्थान पर था। नए टीटीडीआइ सूचकांक में प्राकृतिक मापदंड पर भारत छठवें तथा संस्कृति, कारोबार, चिकित्सा और शिक्षा के लिए यात्रा मापदंडों पर नौवें क्रम पर है। इनमें कीमत प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में अठारहवें, हवाई यातायात की प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में छब्बीसवें और जमीनी तथा बंदरगाह बुनियादी ढांचे के मामले में पच्चीसवें स्थान पर है। इस पर्यटन सूचकांक के विश्लेषण से पता चलता है कि स्वच्छता, स्वास्थ्य, पर्यावरण, इंटरनेट सुविधा और पर्यटन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव जैसे मापदंडों पर भी भारत ने प्रगति की है।
देश में घरेलू पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है और खासकर धार्मिक पर्यटन ऊंचाइयां छू रहा है। लेकिन नए पर्यटन सूचकांक के आधार पर कुछ ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें सामने आई हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर जहां भारत अपने घरेलू पर्यटकों की संख्या में वृद्धि कर सकता है, वहीं घरेलू पर्यटन स्थलों पर विश्व पर्यटन की तरह सुविधाएं और सुंदरता निर्मित करके विदेशों में पर्यटन का मोह पाले हुए घरेलू पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। गौरतलब है कि दुनिया के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों की पहचान उनकी सुंदरता और पेशेवर तरीके से तैयार किए गए संग्रहालयों से भी है। इसके अलावा वहां उपलब्ध बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, साधारण से साधारण पर्यटक के लिए भी उच्च गुणवत्ता की स्थानीय सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के साथ-साथ वहां किफायती कीमत पर ठहरने और स्वच्छ तथा सुरक्षित आवास की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक प्रमुखतया फ्रांस, स्पेन, अमेरिका, चीन और इटली जाते हैं। इनके अलावा सिंगापुर, विएतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, हांगकांग, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (दुबई) जैसे देश भी अपनी कुछ विशिष्टताओं से विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में भारत से बहुत आगे हैं। स्थिति यह है कि अभी भी दुनिया के कुल विदेशी पर्यटकों का दो फीसद से भी कम हिस्सा भारत के खाते में आ रहा है। हालांकि पर्यटन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब छह फीसद का योगदान करता है, लेकिन इसमें सिर्फ आठ करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से रोजगार मिला हुआ है।
इसमें कोई दो मत नहीं कि भारत में दुनिया के सबसे अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की संभावनाएं हैं, लेकिन यह इस डगर पर बहुत पीछे है। भारत के कई ऐसे अनोखे पर्यटन स्थल हैं, जो देश में पर्यटन के विभिन्न आयामों को चमकीली पहचान दे रहे हैं। भारत की संस्कृति, संगीत, हस्तकला, खानपान से लेकर नैसर्गिक सुंदरता हमेशा से देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। भारत के पास हिमालय का सबसे अधिक हिस्सा, विशाल समुद्री तट और रेत का रेगिस्तान, कच्छ में सफेद नमक का रेगिस्तान, लद्दाख में ठंडे रेगिस्तान, देश के कोने-कोने में यूनेस्को द्वारा चिह्नित धरोहर स्थलों समेत अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान जैसी प्राकृतिक विविधताएं हैं। देश के विभिन्न भागों में तटीय पर्यटन, समुद्र तट पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन, स्थल अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
गौरतलब है कि इस समय दुनिया के पर्यटन प्रधान देशों और भारत के पड़ोसी पर्यटन स्थलों वाले प्रसिद्ध देशों में भारतीय पर्यटकों को लुभाने की होड़ लगी हुई है। इन देशों ने इस बात को अच्छी तरह समझा है कि भारतीय मध्यवर्ग की तेजी से बढ़ती क्रयशक्ति के कारण उनमें विदेश यात्रा की ललक और अभिरुचि बढ़ी है। यही कारण है कि जहां एक ओर विदेशी पर्यटकों के कदम भारत की ओर धीमी गति से बढ़ रहे हैं, वहीं भारतीय पर्यटकों के कदम विदेशों में पर्यटन के लिए छलांगें लगाकर बढ़ रहे हैं। 4 दिसंबर, 2023 को सरकार ने लोकसभा में बताया कि वर्ष 2022 में भारत यात्रा पर आए विदेशी पर्यटकों की संख्या 85.9 लाख थी। जबकि उस वर्ष करीब दो करोड़ भारतीय पर्यटकों ने देश से बाहर भ्रमण किया। 23 मई, 2024 को प्रकाशित रिजर्व बैंक की रपट के मुताबिक भारतीयों ने वर्ष 2023-24 में विदेश घूमने पर 17 अरब डालर यानी करीब 1.41 लाख करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं वर्ष 2022-23 में विदेश घूमने पर 13.6 अरब डालर खर्च किए गए थे।
विभिन्न अध्ययन रपटों के मुताबिक भारतीय पर्यटकों की विदेश यात्राओं के दौरान किए जाने वाले खर्च का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, मगर विदेशी पर्यटकों द्वारा भारत में किए जाने वाले खर्च के ग्राफ की वैसी ऊंचाई नहीं है। निश्चित रूप से भारतीयों का विदेश यात्रा की तरफ तेजी से बढ़ता रुझान घरेलू पर्यटन के मद्देनजर नुकसान की तरह है। इसमें दो मत नहीं कि भारत में भी विदेशी पर्यटकों से आमदनी बढ़ रही है, लेकिन भारतीयों द्वारा विदेश भ्रमण पर किए जा रहे भारी-भरकम व्यय की तुलना में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों से भारत की आमदनी बहुत कम है। विदेशी पर्यटकों से होने वाले आर्थिक लाभ का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि एक विदेशी पर्यटक से औसतन दो लाख रुपए की कमाई होती है। पर्यटकों का खर्च स्थानीय अर्थव्यवस्था में पुन: निवेश का काम करता है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार और पर्यटन से जुड़े विभिन्न उद्योग-कारोबार भी बढ़ते हैं।
पिछले एक दशक में देश में घरेलू पर्यटकों, धार्मिक पर्यटकों और विदेशी पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए पर्यटन के व्यापक बुनियादी ढांचे और अन्य पर्यटन सुविधाओं को नई वैश्विक पर्यटन सोच के साथ आकार दिया गया है। पर्यटन बजट में लगातार वृद्धि की गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत को वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के दौरान कार्यसमूह की रणनीतिक रूप से देश के कोने-कोने में दो सौ से अधिक विभिन्न बैठकों में हिस्सा लेने भारत आए विदेशी प्रतिनिधियों और विदेशी मेहमानों को भारत के पर्यटक स्थलों का भ्रमण करवा कर भारत के बेजोड़ पर्यटन केंद्रों का वैश्विक प्रचार-प्रसार का अभूतपूर्व मौका मिला। इसके साथ भारत की दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा के कारण अब भारत में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की नई संभावनाएं उभर रही हैं।
ऐसे में जरूरी है कि भारत के पर्यटन क्षेत्र को अधिक जीवंत बनाया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्यों और स्थानीय निकायों को पर्यटन विकास के लिए समन्वित रूप से साथ मिलकर काम करना होगा। विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए उनकी पसंदीदा पर्यटन गतिविधियां बढ़ानी होंगी। उम्मीद है कि नवगठित सरकार पर्यटन प्रधान देशों की तरह पर्यटन क्षेत्र को और जीवंत बनाने की नई रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी। वर्ष 2030 तक भारत विदेशी पर्यटकों से 56 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ते हुए वर्ष 2047 तक एक लाख करोड़ डालर की पर्यटन अर्थव्यवस्था के रूप में दुनिया में रेखांकित होता दिखाई देगा।