01-06-2019 (Important News Clippings)

Afeias
01 Jun 2019
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Date:01-06-19

गैर गांधी अध्यक्ष का जिक्र और परिवारवाद के मायने

संपादकीय

करारी हार के बाद राहुल गांधी ने इसी हफ्ते हुई कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में किसी गैर गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने पर जोर दिया। राहुल हार की जिम्मेदारी पर इस्तीफा देना चाहते हैं। कांग्रेस नेताओं का इशारा प्रियंका पर हुआ तो राहुल ने गैर गांधी की बात कर डाली। राहुल ने अपनी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाए कि भाई-भतीजावाद के चलते नेताओं ने अपने ही घरों में लोकसभा चुनाव के टिकट बांट दिए, इसलिए पार्टी हार गई। उनका इशारा राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर था। गहलोत ने अपने बेटे वैभव को टिकट दिलवाया और उसके समर्थन में 93 रैलियां कर डालीं। इसके बावजूद उनका बेटा हार गया। राहुल खुद परिवार की पारंपरिक अमेठी सीट हार गए हैं। बहन प्रियंका ने जहां रैलियां की थी वहां पार्टी बमुश्किल इक्का दुक्का सीट जीत पाई है। राजनीति को पैतृक संपत्ति में लिख देना हमारे देश में कोई नई बात नहीं है। राजनीति में आने वाले दस में से तीन सांसदों के सत्ता से पारिवारिक रिश्ते होते हैं। जबकि 69% महिला सांसद पारिवारिक रास्तों से यहां आती हैं। यही नहीं 30 वर्ष से कम उम्र वाले 100% सांसदों के लिए राजनीति पैतृक होती है।

हार्वर्ड के एक रिसर्च के मुताबिक भारत में 1999 के बाद से कांग्रेस के 36 और भाजपा के 31 सांसद अपने परिवार या किसी परिजन के बूते राजनिति में आए हैं। परिवारवाद का दूसरा बड़ा इलाका है बॉलीवुड। जहां माता-पिता बच्चों को लॉन्च करने के लिए शोहरत, दौलत और सारी काबिलियत लगा डालते हैं। लिस्ट लंबी है और इसमें दर्ज नामों के साथ सफलता-असफलता का अपना गणित हैं। आलिया भट्‌ट, सारा अली खान में से जिसे भी आप पहचान न पा रहे हों तो पहले उनके सरनेम पढ़ें फिर नाम, आसानी होगी। दावा ये नहीं है कि कलाकारों में सभी जीरो हैं, लेकिन हर कोई मां-बाप की परछाई हो ये संभव नहीं। जितनी आसानी से इन्हें मौका मिलता है, खुद को साबित करना उतना आसान नहीं होता। अपनी मेहनत के बलबूते आलिया, जाह्नवी और सारा ने एक्टिंग का नया मुकाम हासिल किया है और शायद यही वजह है कि इन्हें तारीफें मिल रही हैं। लेकिन इसी इंडस्ट्री में उदय चोपड़ा और तुषार कपूर भी रहे हैं। बात राजनीति की हो या बॉलीवुड की देश में परिवारवाद जितने चरम पर है काबिलियत का पैमाना उतना ही कठोर। सफलता में हिस्सेदारी के लिए टैलेंट सबसे जरूरी फॉर्मूला है।