वित्तीय समावेशन में बढ़ते भारत के कदम
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वर्तमान दौर में संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भी डिजिटल पक्ष को जोड़कर इसे माइक्रोफाइनेंस और माइक्रोक्रेडिट से कहीं आगे बचत उधार, निवेश, निवेश से संबंधित औपचारिक वित्तीय सेवाओं की सार्वभैमिक पहुँच तक विस्तृत कर दिया गया है। पिछले नौ वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में भारत अग्रणी और निर्विवाद नेता के रूप में उभरा है।
इंडिया स्टैक की धूम –
इंडिया स्टैक के रूप में जाना जाने वाला भारत का डिजिटल वित्तीय ढांचा, डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वित्तीय समावेशन के लगभग सभी पहलुओं को संबोधित करता है। इसका ढांचा विभिन्न कंपनियों के बीच सुरक्षित, भरोसेमंद और इंटरऑपरेबल है। दक्षता, पहुँच, लागत प्रभावशीलता (कॉस्ट इंफेक्टिवनेस) और पैमाने के मामले में, दुनिया भर में इसका कोई समकक्ष नहीं है।
इंडिया स्टैक की तीन लेयर-
- लेयर एक, आधार पहचान प्रणाली है। यह इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन की अनुमति देती है।
- लेयर दोए यूनिफाईड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) द्वारा बनाई गई भुगतान लेयर है, जो आधार से जुड़े बैंक खातों के बीच रियल टाइम में, बिना किसी या मामूली लागत पर सुरक्षित फंड ट्रांसफर की मध्यस्थता करती है। जनवरी 2023 तक, इस मंच से 382 बैंक जुड़े हुए थे।
- लेयर तीन डेटा लेयर है। एक बार पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद, वित्तीय सूचना प्रदाता (एफआईपीद) जैसे बैंक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां, पेंशन एजेंसियां और प्रतिभूति फर्म अपने ग्राहकों के लेनदेन डेटा को प्लेटफार्म पर अपने आधार नंबर के तहत स्टोर करते हैं।
वित्तीय सूचना उपयोगकर्ताओं (एफआईयू) जैसे ऋण प्रदाता कंपनियां, वेल्थ मैनेजर्स, ब्रोकर्स और वॉलेट फर्मों के पास इस डेटा की पहुँच होती है, लेकिन सीधे नहीं। डेटा का स्वामित्व ग्राहक के पास ही रहता है और एग्रीगेटर इसे स्टोर करने की अनुमति के बिना डेटा को सुरक्षित तरीके से उपयोगकर्ता को स्थानांतरित कर देता है। डेटा साझा करने से ऋण, और बीमा बिक्री जैसे लेन-देन में तेजी आती है, और टारगेटेड मार्केटिंग भी बढ़ती है।
डिजिटल वित्तीय लेन देन में विस्फोटक वृद्धि-
2015-16 में डिजिटल ट्रांजैक्शन जहाँ जीडीपी का केवल 4.4% था, वह 2022-23 में बढ़कर 76.1% तक पहुंच गया है। इसके चलते कई देश भारतीय डिजिटल ढांचे को मॉडल के रूप में गंभीरता से ले रहे हैं।
वित्तीय समावेशन से आर्थिक समावेशन की ओर –
- सरकार अब नियमित रूप से 11 करोड़ या अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे नकद हस्तांतरण करती है।
- कम से कम 13.9 करोड़ उद्यम ऐसे हैं (जिनमें से अधिकांश अनिगमित (अनइनकॉर्पोरेटेड) और छोटे है), जो माल और सेवा-कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पर पंजीकृत हैं।
- 2022-23 में गर्वमेंट ई मार्केट प्लेस ने 66,000 सरकार खरीदार संगठनों तथा 60 लाख विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच लगभग 1.5 खरब रुपये के लेन देन की मध्यस्थता की है।
वित्तीय समावेशन की शुरूआत के बाद से 2010 में इसे जी-20 समूह देशों के एजेंडे में भी शामिल किया गया था। इसकी सफलता को देखते हुए भविष्य में इसके और अधिक व्यापक होने की उम्मीद की जा सकती है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अरविंद पन्गढ़िया के लेख पर आधारित। 7 जून, 2023