विकासशील देश विदेशी सहायता का विकल्प ढूंढते हुए आगे बढ़ रहे हैं

Afeias
22 Apr 2025
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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने विदेशी सहायता कार्यक्रम को एक प्रकार से पूरी तरह बंद कर दिया है। इसका अंतरराष्ट्रीय और खासकर विकासशील देशों पर पड़ने वाला प्रभाव क्या होगा –

  • विदेशी सहायता हमेशा से विवादास्पद रही है। यह आर्थिक सहायता को राजनीतिक उद्देश्य से जोड़ती है। सहायता की प्रकृति के बदलने के साथ ही विकासशील देशों ने अपने लिए रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं। वे सक्षम बन रहे हैं।
  • इन देशों या ‘ग्लोबल साउथ‘ ने आर्थिक उत्पादन के मामले में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है।
  • भले ही इन विकासशील देशों का अधिकांश हिस्सा त्वरित विकास के अंत में मध्यम आय वाला क्षेत्र बन कर रह जाएगा। लेकिन आत्मनिर्णय और उत्थान के प्रयास में लिया गया यह निर्णय उनके लिए अच्छा ही होगा।
  • ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि अमेरिकी अलगाववाद के कारण विकसित देशों की सहायता की प्रासंगिकता कम होती जा रही है।
  • विकासशील देशों ने अपने स्वयं के समाधान तैयार कर लिए हैं। इसमें मददगार एमआईटी की पावर्टी एक्शन लैब का नाम लिया जा सकता है। बांग्लादेश का माइक्रोक्रेडिट भी ऐसा ही काम कर रहा है।
  • दूसरी ओर, पश्चिमी देश विदेशी सहायता में कमी करके अपनी सुरक्षा और स्थिरता जैसे मुद्दों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। वहीं विकासशील देश अपनी मानवीय आवश्यकताओं की देखभाल स्वयं ही करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 मार्च 2025