विकसित देशों में भारतीय श्रमिकों की मांग
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विकसित देश, जैसे कि, यूरोपीय महाद्वीप के कई देश – युनान, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस आदि एवं इजरायल में भारतीय श्रमिकों की मांग बढ़ रही है।
- भारत ने श्रमिक उपलब्ध कराने के लिए सन् 2023 तक 17 देशों के साथ समझौते किये हैं।
- भारत में कुशल और मेहनती कामगारों की संख्या बहुत ज्यादा है। विकसित देशों में ऐसे भारतीय श्रमिकों की मांग बढ़ रही है, जो ज्यादा पढ़े.लिखें नहीं हैं – जैसे किए कृषि श्रमिक, निर्माण श्रमिक एवं सेवा क्षेत्र के लिए श्रमिक। उदाहरणार्थ – नगर निकायों में काम करना, बुजुर्गों की देखभाल करना, बढई, सरिया मोड़ना, टाइल्स लगाना, प्लास्टर करना आदि।
विकसित देशों में वृद्धों की संख्या बढ़ने के कारण वहां बाहर के श्रमिकों की मांग बढ़ रही है।
विदेशों में श्रम निर्यात के फायदे –
1) कामगार अंतरराष्ट्रीय स्तर के तजुर्बे के साथ देश वापस आएंगे।
2) विकसित देशों में मजदूरी की दर ज्यादा होने से वे अपने बचत के पैसों से भारत में घर या जमीन जैसी सम्पत्ति में निवेश कर सकते हैं।
3) विदेश से भारत भेजे जाने वाली राशि से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
4) हालांकि, इससे भारत की बेरोजगारी का स्थायी समाधान नहीं हो सकता, परंतु दीर्घावधि में इससे देश को लाभ होगा।
टीप – विदेश भेजे जाने वाले श्रमिकों को अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसका दायित्व कौशल विकास मंत्रालय को दिया गया है। यह कार्य प्रवासी कौशल विकास योजना के माध्यम से किया जा रहा है।