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तमिलनाडु सरकार का एक उत्तम प्रयास
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वैश्विक भूख और पोषण सूचकांक में भारत की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु सरकार की यह योजना अन्य राज्यों के लिए मॉडल का काम कर सकती है। कुछ बिंदु-
- दिन के सबसे महत्वपूर्ण भोजन के रूप में दैनिक नाश्ते के महत्व को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। दुनिया भर में कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि नियमित रूप से नाश्ता खाने से छात्रों से जुड़ें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इससे उनकी ध्यान केंद्रित करने, सीखने और जानकारी को बनाए रखने की क्षमता बढ़ती है। स्कूल के प्रदर्शन में सुधार होता है।
- इससे बच्चों में आहार की गुणवत्ता, सूक्ष्म पोषक तत्वों की पर्याप्तता, एनीमिया और स्टंटिंग (ऊंचाई कम होना) और वजन के मुद्दों का भी ध्यान रखा जा सकता है। यह भविष्य के बीएमआई स्कोर को भी संतुलित रखता है।
- इस योजना में सरकार ने बच्चों को प्रतिदिन औसतन 293 कैलोरी और औसतन 9.85 ग्राम प्रोटीन देने का लक्ष्य रखा है। छात्रों को पहले से ही दिए जा रहे मध्यान्ह भोजन से औसतन 553 कैलोरी और 18 ग्राम प्रोटीन मिलता है।
तमिलनाडु सरकार की प्रस्तावित योजना के लिए बनाई गई सूची में भूख, कैलोरी, ऊर्जा और सूक्ष्य पोषक तत्वों का ध्यान रखा जाएगा। स्थानीय आहार और सब्जियों से भरपूर भोजन में स्वाद और गुणवत्ता के मापदंडों का ध्यान रखे जाने की उम्मीद की जा सकती है।
मध्यान्ह भोजन योजना के माध्यम से इस प्रकार की योजनाओं में होने वाली चूक जैसे चोरी, भोजन की खराब गुणवत्ता, धन जारी करने में देरी और जाति संबंधी व्यवधानों को भी दूर करना होगा। तमिलनाडु के इस प्रयास से प्रेरित होकर अन्य राज्य भी इस अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू के लिए संसाधनों को खंगालने का प्रयास कर सकते हैं।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 सितंबर, 2022