सिंधु जल संधि पर चलता विवाद
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कुछ बिंदु –
- भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद सिंतबर 1960 में इंडस वाटर्स ट्रीटी या आईडब्ल्यूटी पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता था।
- संधि में निर्धारित किया गया था कि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के जल को भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे साझा किया जाएगा।
- इस संधि को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं। 2007 में बगलिहार बांध परियोजना और 2013 में नीलम परियोजना विवाद में भारत को जीत मिली थी।
- किशनगंगा और रतले परियोजना पर 2016 में विवाद बढ़ा था। इस पर एक तटस्थ विशेषज्ञता ने परमानेंट कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन या पीसीए की मांग की । पाकिस्तान ने तटस्थ प्रक्रिया की सुनवाई पर कोई ध्यान नहीं दिया। भारत ने भी पीसीए की बैठकों से मुँह मोड़ लिया था।
- जनवरी 2023 से पाकिस्तान को भेजे गए अपने चौथे नोटिस में भारत ने सिंधु जल संधि पर फिर से बातचीत की मांग की है।
- अब अक्टूबर में शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक होनी है। उम्मीद की जा सकती है कि पाकिस्तान के निमंत्रण पर भारत बैठक में शामिल होगा, और मौजूदा विवादों को सुलझाया जा सकेगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 सितंबर, 2024
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