सिलक्‍यारा और रैट होल माइनर्स

Afeias
21 Dec 2023
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हाल ही में हिमालय के सिलक्‍यारा क्षेत्र की सुरंग में 41 श्रमिकों के फंसने की जो दुर्घटना हुई, वह 900 किमी. लंबी चार धाम परियोजना का हिस्सा है। इस घटना को पर्यावरण, श्रमिक सुरक्षा, खनन, हिमालयी क्षेत्र में विकास कार्यों का खतरा आदि अनेक पक्षों से जोड़कर देखा जाना चाहिए। इस लेख का मुख्य केंद्र रैट होल माइनर्स हैं, जिन्होंने अंततः फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने में सफलता पाई है।

रैट होल माइनर्स कौन हैं? ये क्या करते हैं?

यह खनन में लगे लोगों का एक ऐसा छोटा समूह है, जो खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए लंबवत (वर्टिकल) या ढलान पर छेद बनाता है। खनन का यह तरीका असुरक्षित और अवैध है, लेकिन दुनिया के अफ्रीका जैसे संसाधन समृद्ध क्षेत्रों में यह आम है। भारत के मेघालय में यह काफी सक्रिय माना जाता है। इसके अलावा उन सभी क्षेत्रों में इनको काम पर लगाया जाता है, जहाँ खनिज पदार्थ उथली गहराई पर पाए जाते हैं।

ये माइनर्स भूमि में एक व्यक्ति के प्रवेश लायक छेद बनाते हैं। एक बार जब ये भंडार तक पहुंच जाते हैं, तो हाथों से ही उसे खोदते हैं, और बाहर लाते हैं।

बहुत ही असुरक्षित और कम भुगतान वाला तरीका –

रैट होल माइनिंग में कभी-कभी छेद के पूरे धंस जाने या भंडार के आसपास जहरीली गैस के प्रभाव में आने से लोगों की मौके पर ही जान जा चुकी है। यही कारण है कि इसे अवैध घोषित किया गया है। इस प्रणाली में आने वाले खतरों से उसे सुरक्षित बनाना बहुत महंगा पड़ता है।

इसे करने वाले लोगों को मेहनताने के तौर पर बहुत ही कम पैसा दिया जाता है। यह समूह सामान्यतः बहुत गरीबी में जीता है। असल लाभ बिचैलिए ओर व्यापारी ले जाते हैं। इतनी गरीबी में जीने के बावजूद सिलक्‍यारा सुरंग को खोदकर 41 श्रमिकों की जान बचाने वाले रैट होल माइनर्स ने मेह में एक भी रुपया लेने से मना कर दिया है। ऐसा उन्होंने नैतिक आधार पर किया है।

इस प्रकार के अवैध खनन से सरकार को खनिज की रॉयल्टी नहीं मिल पाती है। यह पर्यावरण की दृष्टि से भी विनाशकारी है। इसलिए इसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित विश्वजीत पॉल के लेख पर आधारित। 29 नवंबर, 2023

नोट:- हिमालयी क्षेत्र में होने वाली त्रासदियों से जुड़े अन्य लेख हम समय-समय पर उपलब्ध कराते रहे हैं। इस शीर्षक से जुड़ी तैयारी के लिए करेंट कंटेंट में हिमालय टाइप करके सर्च कर सकते हैं।

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