सिख अलगाववादियों की समस्या
To Download Click Here.
हाल ही में कनाडा के ब्रैम्पटन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को महिमामंडित करने वाली एक झांकी निकाली गई। यह स्पष्ट रूप से भारत की नाराजगी का कारण बन रही है। इसे कनाडाई सिख अलगाववादी या ‘खालिस्तानी’ समूह ने 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के विरोध-प्रदर्शन के रूप में निकाला है।
भारत के नेताओं ने इसके लिए कनाडा से माफी मांगने और यह स्वीकार करने को कहा है कि वहाँ भारत विरोधी चरमपंथी और अलगाववादी ताकतें पनप रही हैं। विदेश मंत्री ने तो यह भी कहा है कि ऐसी ताकतें न केवल भारत-कनाडा संबंधों के लिए ही बल्कि अपने आप में कनाडा के लिए खतरा बन सकती हैं। कुछ बिंदु –
- कनाडा में लगभग आठ लाख सिख रहते हैं, जो वहाँ की सरकार के लिए एक बड़ा वोट बैंक हैं।
- इसी को बचाने के लिए वहाँ की सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इन्हें रोकना नहीं चाहती है।
- इतना ही नहीं, 2020 में भारत में हुए किसान-आंदोलन को लेकर कनाडाई प्रधानमंत्री ने मोदी सरकार की आलोचना भी की थी। स्पष्ट रूप से यह कनाडा के सिखों को खुश करने के लिहाज से की गई थी।
भारत को क्या करना चाहिए –
- सबसे पहले तो षड्यंत्र करने वाले अलगाववादी गुटों के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा करके उन्हें सामने रखा जाए।
- खालिस्तानी अलगाववादी इससे पहले आस्ट्रेलियाए यू.के. अमेरिका एवं यूरोप के कुछ भागों में अपना अड्डा बनाते रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इन देशों के नेताओं से अपनी चिंता के कारण पर विचार-विमर्श करे, और इसका समाधान निकाले।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 09 जून, 2023
Related Articles
×